नई दिल्ली/मुंबई। mohan bhagwat’s statement: राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रमुख मोहन भागवत ने रविवार को कहा कि सभी भारतीयों का डीएनए एक जैसा है। चाहे वह किसी भी धर्म का हो। इतना ही नहीं, लिंचिंग के बारे में बोलते हुए उन्होंने कहा था कि इसमें शामिल लोग हिंदुत्व के खिलाफ हैं और लोकतंत्र में हिंदुओं या मुसलमानों का वर्चस्व नहीं हो सकता।
भागवत के बयान पर एआईएमआईएम प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता दिग्विजय सिंह ने प्रतिक्रिया दी है। ओवैसी ने कहा, हिंसा और हत्या गोडसे की हिंदू समर्थक विचारधारा का हिस्सा हैं। तो क्या दिग्विजय सिंह मोदी-शाह और बीजेपी के मुख्यमंत्री को यही शिक्षा देंगे?
एआईएमआईएम अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी ने ट्वीट किया, ‘आरएसएस प्रमुख भागवत कहते हैं कि लिंचिंग हिंदुत्व विरोधी है। वे गाय और भैंस में अंतर नहीं जानते होंगे। हालांकि, जुनैद, अखलाक, पहलवी, रकबर, अलीमुद्दीन को मारने के लिए कई थे। यह नफरत हिंदुत्व की देन है। इन अपराधियों को हिंदू समर्थक सरकार द्वारा संरक्षित किया जाता है।
बीजेपी ने भी साधा निशाना-
ओवेसी ने कहा कि अखलाक की हत्या करने वालों के शवों पर तिरंगा लगाया जाता है। आसिफ की हत्या करने वालों के समर्थन में महापंचायत बुलाई गई है। इधर बीजेपी प्रवक्ता पूछते हैं, क्या हम हत्या भी नहीं कर सकते? उन्होंने कहा कि कायरता, हिंसा और हत्या गोडसे की हिंदू समर्थक विचारधारा के अभिन्न अंग हैं। मुसलमानों की लिंचिंग भी इन्हीं विचारों का परिणाम है।
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने भी ट्वीट कर भागवत के बयान पर निशाना साधा है। उन्होंने कहा, क्या मोहन भागवत अपने शिष्यों, प्रचारकों, विश्व हिंदू परिषद और बजरंग दल के कार्यकर्ताओं को यह विचार देंगे? क्या आप मोदी-शाह और भाजपा के मुख्यमंत्री को यही शिक्षा देंगे?
क्या कहा मोहन भागवत ने?
- एकता के बिना देश का विकास संभव नहीं है। एकता का आधार राष्ट्रवाद और पूर्वजों की महिमा होनी चाहिए। हिंदू-मुस्लिम संघर्ष का एकमात्र समाधान संवाद है, असहमति नहीं।
- सभी भारतीयों का डीएनए एक जैसा है। तो उनका धर्म जो भी हो। हिंदू-मुस्लिम एकता की चर्चा भ्रामक है। क्योंकि वे अलग नहीं बल्कि एक हैं।
- हम एक लोकतांत्रिक देश में हैं। यहां कोई हिंदू या मुस्लिम वर्चस्व नहीं हो सकता। यहां केवल भारतीय ही हावी हो सकते हैं।