भिवंडी, नवप्रदेश। ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन के प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी (Owaisi Statement) ने महाराष्ट्र के भिवंडी में एक रैली को संबोधित करते हुए भारत के निर्माण के संबंध में बड़ा बयान दिया है।
ओवैसी ने कहा भारत किसका है मालूम है आपको, मेरा भी नहीं है भारत, यह भारत न उद्धव ठाकरे का है, न ओवैसी का है, न मोदी का है, और न शाह का हैै भारत अगर किसी का है तो वो द्रविड़ों और आदिवासियों का है। ओवैसी (Owaisi Statement) ने कहा कि भारत तब बना जब यहां लोग अफ्रीका, ईरान, सेंट्रल एशिया और पूर्वी एशिया से आए।
ओवैसी ने केंद्र सरकार पर हमला बोलते हुए कहा कि आज देश में बेरोजगारी, महंगाई की की बात कोई नहीं करता। आज मुसलमानों को बीजेपी का खौफ दिखाया जा रहा है। उन्होंने कहा कि बीजेपी-संघ ने देश में झूठ (Owaisi Statement) फैलाया।
क्या भारत की तारीख मुगलों से शुरू हुई थी? क्या औरंगजेब ने भारत में बेरोजगारी बढ़ा दी है? मुसलमान मारे जाते हैं, इसके लिए कौन जिम्मेदार है? कश्मीर में एक सरकारी कर्मचारी की हत्या का जिम्मेदार कौन है?
आर्यन थ्योरी के पुराने विवाद को फिर से हवा-
ओवैसी के आदिवासियों और द्रविड़ों का है भारत वाले बयान ने आर्यन थ्योरी के पुराने विवाद को फिर से हवा दे दी है। दरअसल, इस पर दो पक्ष हैं और उनके अलग-अलग तर्क हैं।
इतिहासकार भी एकमत नहीं हैं। महाराष्ट्र के भिवंडी में ओवैसी ने मीडिया को मसाला देने की बात करते हुए दावा किया’चार जगहों से लोग आए थे, तब से माइग्रेशन हो रहा है। लेकिन बीजेपी-आरएसएस वाले कहते हैं कि मुगल आए, मुगल आए।
अफ्रीका से भी आए थे, ईरान से भी आए थे, सेंट्रल और ईस्ट एशिया से भी आए थे… ये सब मिले तो भारत बना। मगर आदिवासी यहां का है, द्रविड़ यहां के हैं। ये आर्यन आए थे 4000 साल पहले। इस दावे से एक बार फिर बहस छिड़ गई है कि भारत का मूल समुदाय कौन सा है।
क्या उत्तर भारत में रहने वाले लोग बाहर के देशों से आए हैं? आर्यन क्या बाहर से आकर भारत में बसे थे? या फिर द्रविड़ भारत का मूल समुदाय है?
राखीगढ़ी से मिले सबूत,आर्य कोई बाहरी नहीं थे-
आर्य भारत के मूल निवासी थे या बाहर से आए; दशकों से इस पर बहस चल रही है। ताजा अध्ययन हरियाणा के हिसार जिले के राखीगढ़ी का है। यहां हड़प्पाकाल की सभ्यता की खुदाई से राखीगढ़ी में 5000 साल पुराने कंकाल मिले हैं।
इससे पता चलता है कि आर्य कोई बाहरी नहीं थे, वे यहीं के मूल निवासी थे। भारत के लोगों के जीन में बीते हजारों सालों में कोई बड़ा बदलाव नहीं हुआ है।
आर्यन थ्योरी पर शोध के लिए साइंटिस्टों ने राखीगढ़ी के नर कंकालों के अवशेषों का डीएनए टेस्ट किया। यह रिपोर्ट प्राचीन आर्यों की डीएनए रिपोर्ट से मेल नहीं खाती है। इससे आर्यों के बाहर से आने की बात गलत साबित होती है।
कुछ इतिहासकारों का दावा है कि लोग ईरान और इराक से भारत आए तो कई चीजें और तकनीक अपने साथ लाए। जबकि ताजा रिसर्च बताती है कि 9000 साल पहले भारत के लोगों ने ही खेती की शुरुआत की थी।
यहां से दुनिया में खेती की तकनीक पहुंची। कंकालों के अध्ययन से पता चला है कि हड़प्पा सभ्यता में सरस्वती की पूजा होती थी और हवन भी होता था।
कंकालों की स्टडी ने रखी आर्यन थ्योरी पर नई तस्वीर-
राखीगढ़ी और सनौली में हड़प्पाकालीन कंकालों की स्टडी से आर्यन थ्योरी पर नई तस्वीर सामने आई है। तीन साल पहले डेक्कन कॉलेज ऑफ आर्कियोलॉजी के प्रो. वसंत शिंदे और डीएनए साइंटिस्ट डॉ. नीरज राय ने दावा किया था कि हड़प्पा सभ्यता को विकसित करने वाले बाहरी नहीं, बल्कि भारतीय उपमहाद्वीप के लोग ही थे।
यह क्षेत्र भारत और पाकिस्तानी क्षेत्र में पड़ता है। दरअसल, कुछ इतिहासकारों का दावा है कि आर्यन बाहर से आए थे और आर्य व द्रविड़ में संघर्ष हुआ था। एक तबका इन्हें वामपंथी इतिहासकार कहकर निंदा करता है। दक्षिण भारत में यह राजनीतिक मुद्दा भी बनता रहा है।
लेकिन ताजा शोध यही कहता है कि आर्य भारत के ही निवासी थे और मोहनजोदड़ो, हड़प्पा और वैदिक काल का समय एक ही था। हालांकि कई इतिहासकार कहते हैं कि हड़प्पा और वैदिक काल एक नहीं हो सकते।