अगरतला। पत्र सूचना कार्यालय, रायपुर के नेतृत्व में आज छत्तीसगढ़ की मीडिया टीम ने त्रिपुरा के गोमती जिले में स्थित ओएनजीसी-त्रिपुरा पावर कम्पनी (ओटीपीसी) का दौरा किया । त्रिपुरा पावर कम्पीन नैचुल गैस पर आधारित बिजली संयंत्र है, जो कि त्रिपुरा के साथ ही पूवोत्तर के छह अन्य राज्यों को भी बिजली की आपूर्ति करती है ।
ओटीपीसी के चीफ एक्जिक्यूटिव ऑफिसर (सीईओ) श्री संजय गढ़वाल ने बताया कि त्रिपुरा में उपलब्ध गैस का समुचित उपयोग करने और भारत के पूर्वोत्तर राज्यों के बिजली की कमी वाले क्षेत्रों में विद्युत आपूर्ति करने के उद्देश्य से तेल एवं प्राकृतिक गैर निगम (ONGC) द्वारा इंफ्रास्ट्रक्चर लीजिंग एंड फाइनेंशियल सर्विसेज लिमिटेड (IL&FS) और त्रिपुरा सरकार के साथ मिलकर 18 सितंबर, 2008 को पालाटाना, त्रिपुरा में 726.6 मेगावाट के कंबाइंड साइकिल गैस टर्बाइन (CCGT) की स्थापना के लिए ओएनजीसी त्रिपुरा पावर कंपनी (OTPC) का गठन किया गया ।
उन्होंने बताया कि इस बिजली संयंत्र के 363.3 मेगावाट के पहले ब्लॉक का 04 जनवरी, 2014 से और 363.3 मेगावाट के दूसरे ब्लॉक का 24 मार्च, 2015 से वाणिज्यिक संचालन शुरू किया गया था । श्री गढ़वाल ने बताया कि पूवोत्तर राज्यों का सबसे बड़ा प्लांट होने की वजह से यह कुल बिजली का 25 प्रतिशत भाग यह अकेले ही आपूर्ति करता है ।
श्री संजय गढ़वाल ने बताया कि सीएसआर बोर्ड द्वारा तय मानदंडों के आधार पर ओटीपीसी सालाना 03 करोड़ रूपए सीएसआर पर खर्च कर रहा है । यह खर्च प्लांट के 10 से 25 किलोमीटर की परिधि में कुल सीएसआर का 80 प्रतिशत हिस्सा ग्रामीण महिलाओं के सशक्तिकरण में, स्कूलों के निर्माण में और हर महीने लगभग 3000 कन्या छात्राओं को सेनेटरी पैड उपलब्ध कराता है । इसके अलावा ग्रामीण छात्र-छात्राओं के लिए आईआईटी और जेईई जैसे परीक्षाओं के तैयारी में मदद करता है । साथ ही 4 मोबाईल हेल्थ वैन के माध्यम से लोगों का स्वास्थ्य परीक्षण कर नि:शुल्क दवाईयां उपलब्ध करा रहा है ।
ओटीपीसी के प्रोजेक्ट हेड श्री तापस भौमिक ने ओटीपीसी प्लांट की स्थापना के संबंध में विस्तृत जानकारी दी । उन्होंने बताया इस प्लांट के लिए बड़ी मशीनरी बांग्लादेश के रास्ते त्रिपुरा लाई गयी है ।
श्री भौमिक ने बताया कि गैस पर आधारित होने के कारण यह परियोजना राष्ट्रीय संचरण ग्रिड को स्वच्छ बिजली की आपूर्ति कर रही है । स्वच्छ बिजली की आपूर्ति के कारण कार्बन-डाइऑक्साइड उत्सर्जन में कमी आई है । स्वच्छ बिजली के निर्यात होने से पर्यावरण उत्सर्जन में वृद्धि होती है । श्री भौमिक बताया कि कोयला जोकि एक गैर-नवीकरणीय संसाधन है की बचत होती है जिसका उपयोग अन्य कार्यों में हो सकेगा । कार्बन डाइऑक्साइड उत्सर्जन में कमी होने से आम लोगों का विस्थापन में कमी और भूमि का संरक्षण होता है ।