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Omicron Crisis : ओमीक्रॉन संकट के बीच चिंता बढ़ाता डेल्मिक्रॉन

Omicron Crisis: Delmicron raises concern amid Omicron crisis

Omicron Crisis

योगेश कुमार गोयल। Omicron Crisis : दुनियाभर में जनवरी 2020 में शुरू हुआ कोरोना संक्रमण का प्रकोप थमने का नाम ही नहीं ले रहा है। आए दिन सामने आते इसके विभिन्न रूपों से पूरी दुनिया चिंतित है। दक्षिण अफ्रीका से लेकर ब्रिटेन तक तबाही मचा रहे कोरोना के नए वेरिएंट ‘ओमिक्रॉन’ का प्रभाव अब भारत सहित दुनिया के तमाम हिस्सों में तेजी से बढ़ता जा रहा है।

देश में ओमिक्रॉन से संक्रमितों की संख्या चंद दिनों में ही 1500 के पार पहुंच गई है और तमाम विशेषज्ञों द्वारा इसी वजह से फरवरी माह में तीसरी लहर की भविष्यवाणी की जा रही है। ओमिक्रॉन के निरन्तर बढ़ते खतरे के बीच अब कोरोना वायरस के नए वेरिएंट ‘डेल्मिक्रॉन’ पर बहस शुरू हो गई है।

इस बहस के बीच चिंता बढ़ाने वाली बात यह है कि जहां अभी तक के अध्ययनों में पता चला है कि ओमिक्रॉन कोरोना के डेल्टा वेरिएंट से कई गुना अधिक संक्रामक होने के बावजूद ज्यादा खतरनाक नहीं है, वहीं वैज्ञानिकों के मुताबिक डेल्मिक्रॉन लोगों में कोरोना की गंभीर जटिलताओं का कारण बन सकता है। यूरोप तथा अमेरिका में कोरोना के बढ़ते मामलों के लिए डेल्मिक्रॉन को ही जिम्मेदार माना जा रहा है। यही कारण है कि भारत में भी इसे लेकर चिंता का माहौल बनने लगा है।

भारत में डेल्मिक्रॉन शब्द का उल्लेख सबसे पहले महाराष्ट्र कोविड-19 टास्क फोर्स के अधिकारी डा. शशांक जोशी ने किया था। उन्होंने अपनी एक रिपोर्ट में बताया है कि यूरोप तथा अमेरिका में डेल्टा और ओमिक्रॉन के ट्विन स्पाइक्स से उपजे डेल्मिक्रॉन ने लोगों के लिए मुसीबतें बढ़ा दी हैं। स्वास्थ्य विशेषज्ञों के मुताबिक कोरोना के ओमिक्रॉन और डेल्टा वैरिएंट का संयोजन है डेल्मिक्रॉन, जिसे कोरोना का ‘सुपर स्ट्रेन’ भी कहा जा रहा है।

हालांकि डेल्मिक्रॉन कोरोना का कोई नया वेरिएंट या म्यूटेशन नहीं है बल्कि यह डेल्टा और ओमिक्रोन, इन दोनों के प्रोटीन का एक संयोजन है और डेल्मिक्रॉन शब्द तभी उपयोग किया जा रहा है, जब कोई व्यक्ति कोरोना के डेल्टा और ओमिक्रॉन दोनों वेरिएंट से संक्रमित होता है। डेल्टा और ओमिक्रॉन संक्रमण एक साथ हो जाने की स्थिति को ही ‘डेल्मिक्रॉन’ नाम दिया गया है अर्थात् जब कोई व्यक्ति डेल्टा और ओमिक्रॉन दोनों से संक्रमित हो जाता है, तब उसे डेल्मिक्रॉन का संक्रमण कहते है। विशेषज्ञ मान रहे हैं कि डेल्टा और ओमिक्रॉन के मिलने से दुनिया के कई हिस्सों में एक नई लहर आ सकती है। कोरोना के डेल्टा वेरिएंट के संक्रमण के कारण भारत में दूसरी लहर के दौरान लोगों में बहुत गंभीर स्वास्थ्य संबंधी जटिलताएं देखने को मिली थी जबकि ओमिक्रॉन को अभी तक का सबसे संक्रामक वैरिएंट माना जा रहा है, इसीलिए विशेषज्ञों का कहना है कि दोनों वेरिएंट के संयोजन से बना डेल्मिक्रॉन गंभीर समस्याओं का कारण बन सकता है।

विशेषज्ञों के मुताबिक कमजोर प्रतिरोधक क्षमता वाले व्यक्ति, बुजुर्ग तथा कोमोर्बिडिटी (एक से अधिक बीमारियों से ग्रसित) व्यक्ति डेल्टा और ओमिक्रॉन दोनों ही वैरिएंट से एक साथ संक्रमित हो सकते हैं और ऐसे ही लोगों के अंदर इन दोनों वेरिएंट के वायरस मिलकर नया सुपर स्ट्रेन डेल्मिक्रॉन बना रहे हैं। कोरोना वायरस स्पाइक प्रोटीन से ही मानव शरीर की कोशिका में प्रवेश करने के रास्ते खोलता है और चूंकि डेल्मिक्रॉन में डेल्टा तथा ओमिक्रॉन के जुड़वां स्पाइक प्रोटीन हैं, इसीलिए डेल्मिक्रॉन में कोरोना के इन दोनों वैरिएंट के स्पाइक प्रोटीन होने के कारण ही यह ज्यादा घातक असर दिखा रहा है।

अमेरिका के सेंटर्स फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन के अनुसार नवम्बर माह तक अमेरिका के कुल कोरोना मामलों में 99 फीसदी के लिए डेल्टा वैरिएंट जिम्मेदार था लेकिन दिसंबर के तीसरे सप्ताह तक वहां कोरोना के 73 फीसदी से भी ज्यादा मामले ओमिक्रॉन के थे जबकि 27 फीसदी से कम डेल्टा के मामले थे। ब्रिटेन का भी कुछ ऐसा ही हाल है, जहां ओमिक्रॉन के फैलते ही प्रतिदिन कोरोना के एक लाख से ज्यादा मामले सामने आ रहे हैं। ऐसे में विशेषज्ञों का मानना है अमेरिका तथा ब्रिटेन में कोरोना की तेज रफ्तार के पीछे डेल्टा या ओमिक्रॉन के बजाय डेल्टा और ओमिकॉन से मिलकर बना सुपर स्ट्रेन डेल्मिक्रॉन जिम्मेदार हो सकता है।

विशेषज्ञों के मुताबिक डेल्मिक्रॉन संक्रमण (Omicron Crisis) तब भी हो सकता है, जब डेल्टा संक्रमण से उबरने वाला व्यक्ति ओमिक्रॉन वेरिएंट से पुन: संक्रमित हो जाए। हालांकि ऐसे संक्रमण को दुर्लभ माना गया है लेकिन भीड़-भाड़ वाली जगहों के सम्पर्क में आने पर ऐसा संभव है। हालांकि कुछ विशेषज्ञ डेल्टा तथा ओमिक्रॉन के मिलने से सुपर स्ट्रेन बनने की बात को लेकर सहमत नहीं हैं लेकिन कुछ शोधकर्ताओं का कहना है कि भले ही डेल्टा और ओमिक्रॉन का संयोजन होना दुर्लभ है लेकिन सही परिस्थितियां मिलने पर ऐसा संभव है। दक्षिण अफ्रीका से कई ऐसी रिपोर्टें सामने आई हैं, जिनमें बताया गया है कि वहां कई ऐसे मामले सामने आए, जिनमें कमजोर प्रतिरोधक क्षमता वाले लोगों में दोनों वैरिएंट होने की आशंका थी।

यूनिवर्सिटी ऑफ न्यू साउथ वेल्स के महामारी विशेषज्ञ पीटर व्हाइट भी सुपर स्ट्रेन की ऐसी संभावना को लेकर चेतावनी दे चुके हैं। वहीं, कोरोना वैक्सीन बनाने वाली कम्पनी ‘मॉडर्ना’ के चीफ मेडिकल ऑफिसर डा. पॉल बर्टन का भी कहना है कि यह संभव है कि डेल्टा और ओमिक्रॉन दोनों वैरिएंट जीन की अदला-बदली करके एक नया खतरनाक वैरिएंट बना चुके हों। भारत में डेल्मिकॉन संक्रमण बढऩे की आशंका को लेकर चिंता गहराने का कारण यह भी है क्योंकि ज्यादातर विशेषज्ञों का मानना है कि यदि यह सुपर स्ट्रेन दुनिया के अन्य हिस्सों में अपना असर दिखा रहा है तो यह भारत के लिए भी बड़ा खतरा हो सकता है।

हालांकि अभी भी भारत में डेल्टा ही प्रमुख रूप से प्रभावी वैरिएंट है लेकिन ओमिक्रॉन धीरे-धीरे दुनिया के अन्य देशों की भांति जिस प्रकार डेल्टा की जगह ले रहा है, उससे चिंता बढऩा स्वाभाविक है। वैसे अभी इसकी भविष्यवाणी करना संभव नहीं है कि हमारे यहां डेल्टा तथा ओमिक्रॉन मिलकर सुपर स्ट्रेन ‘डेल्मिक्रॉन’ जैसा व्यवहार करेंगे या नहीं लेकिन दुनिया के अन्य देशों की स्थिति को देखते हुए इसका खतरा बरकरार है।

जहां तक डेल्मिक्रॉन के प्रमुख लक्षणों की बात है तो इसके कोई विशेष लक्षण नहीं हैं। अभी तक डेल्टा और ओमिक्रॉन रोगियों में बुखार, खांसी, नाक बहना, सिरदर्द, गंध या स्वाद चले जाना सहित कुछ अन्य लक्षण देखे गए हैं और कुछ अध्ययनों में यह तथ्य सामने आया है कि डेल्मिक्रॉन का प्रभाव डेल्टा की तुलना में हल्का होता है, ऐसे में मौत का खतरा कम रहता है। हालांकि विशेषज्ञों का मानना है कि ऐसे इलाके, जहां वैक्सीनेशन कम हुआ है, वहां के लोगों पर डेल्मिक्रॉन कहर बरपा सकता है।

वैसे ओमिक्रॉन की संक्रामकता (Omicron Crisis) कम करने में कोरोना वैक्सीन कितनी कारगर है, इसे लेकर अध्ययन किए जा रहे हैं, उसी आधार पर पता चलेगा कि डेल्टा और ओमिक्रॉन के संयोजन से वैक्सीन किस हद तक सुरक्षा दे सकेगी। डेल्मिक्रॉन के प्रभावों को लेकर विस्तृत जानकारी आने वाले दिनों में इस पर किए जा रहे अध्ययनों के निष्कर्षों के आधार पर ही आएगी लेकिन फिलहाल तो तमाम विशेषज्ञों का यही कहना है कि वैक्सीनेशन इससे बचाव का प्रमुख हथियार है। इसके अलावा इसकी चपेट में आने से बचने के लिए कोविड-उपयुक्त व्यवहार जैसे मास्क पहनना, सोशल डिस्टेंसिंग और अनावश्यक भीड़ से बचना जरूरी है।

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