Old Pension Scheme : गुजरात और हिमाचल प्रदेश विधानसभा चुनाव के दौरान सरकारी कर्मचारियों के लिए पुरानी पेंशन योजना को लागू करने का मुद्दा प्रमुखता से उठा था। कांग्रेस और आम आदमी पार्टी ने तो पुरानी पेंशन योजना बहाल करने का चुनावी वादा भी कर दिया था। इसी के बाद से भाजपा के लोगों द्वारा भी सरकार पर दबाव बनाया जा रहा है कि वह पुरानी पेंशन योजना लागू करें। राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ ने भी इस मांग का समर्थन किया है। ऐसे में वित्त मंत्री निर्मला सितारमण पर यह दबाव बन रहा है कि वे केन्द्रीय कर्मचारियों के लिए प्ररानी पेंशन योजना को लागू करें जो नब्बे के दशक में बंद कर दी गई थी।
कई राज्य सरकरों ने अपने कर्मचारियों के लिए पुरानी पेंशन योजना (Old Pension Scheme) फिर से लागू करने के लिए कारगर कदम उठाने शुरू भी कर दिए है। ऐसी स्थिति में यह जरूरी हो जाता है कि सभी केन्द्रीय कर्मचारियों और राज्यों के कर्मचारियों को पेंशन की पात्रता दी जाए। जब पांच साल के लिए सांसद या विधायक बनने वाले नेताओं को आजीवन पेंशन दी जाती है और उनके निधन के बाद परिवार पेंशन प्रदान की जाती है तो सरकार की ३० साल तक सेवा करने वाले कर्मचारियों को पेंशन से वंचित रखना अन्याय ही कहा जाएगा। एक ओर तो सरकार गरीबों, निराश्रितों औैर वृद्धजनों को सामाजिक सुरक्षा पेंशन प्रदान करती है वहीं दूसरी ओर अपना सारा जीवन सरकारी सेवा में खपा देने वाले अपने कर्मचारियों को पेंशन नहीं दे रही है।
जबकि सेवानिवृत्त शासकीय कमर्चारियों को बुढ़ापे मे पेंशन का ही सहारा होता है। इसके लिए सरकार संसाधनों की कमी का रोना रोकर अपनी जिम्मेदारी से नहीं बच सकती। जब हजारों लाखों माननीयों को पेंशन प्रदान की जा सकती है तो सरकारी कर्मचारियों को क्यों नहीं दी जा सकती। कायदें से तो सांसदों और विधायकों की पेंशन बंद की जानी चाहिए। जिसपर सरकार को हर साल अरबो रूपए खर्च करना पड़ा है।
इसी तरह अन्य मदों में भी कटौती कर सेवा निवृत्त (Old Pension Scheme) सरकारी कर्मचारियों के लिए पेंशन राशि की व्यवस्था की जा सकती है। इसके लिए दृढ़ इच्छाशक्ति की आवश्यकता है। उम्मीद की जानी चाहिए कि केन्द्र सरकार शासकीय कर्मचारियों की पुरानी पेंशन व्यवस्था को फिर से बहाल करने के लिए गंभीरता पूर्वक विचार करेगी और आगामी बजट में इसका प्रावधान करेगी। आपको बता दें अटल बिहारी वाजपेयी सरकार के कार्यकाल में पुरानी पेंशन योजना को खत्म किया गया था. साथ ही जनवरी, 2004 से राष्ट्रीय पेंशन प्रणाली को लागू करने का निर्णय लिया गया था।