Octogenarian eat stone : गांव वाले उन्हें पत्थर खाने वाले बाबा कहकर बुलाते हैं
सातारा। octogenarian eat stone : छोटा बच्चा यदि मिट्टी खाने लगे तो उसके माता-पिता झट से उसकी ओर दौड़ते हैं और उसके मुंह से मिट्टी निकालते हैं। फिर बच्चे को सुरक्षित जगह पर रख देते हैं। लेकिन चित्र में दिख रहे इस 80 साल (octogenarian eat stone) के दादाजी के मामले में कहानी पूरी उल्टी है।
ये दादाजी हर दिन 250 ग्राम पत्थरनुमा मिट्टी चुनते हैं और उसे खा जाते हैं। ये बजुर्ग महाराष्ट्र के सातारा जिले के बोडके परिवार के है। बुजुर्ग का नाम रामदास बोडके हैं। रामदास पिछले 31 वर्षों से रोज मिट्टी से पत्थर चुनकर खा रहे हैं। गांव वाले उन्हें पत्थर खाने वाले बाबा कहकर बुलाते हैं। इसी बुजुर्ग का एक वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुआ है। सातारा के आदर्की खुर्द गांव के ये दादाजी अब लोकप्रिय हो गए हैं।
1989 में मुंबई में शुरू हुई तकलीफ :
रामदास बोडके 1989 में काम की तलाश में मुंबई गए हुए थे। वहां काम करते वक्त उन्हें पेटदर्द शुरू हो गया। उन्होंने मुंबई के डॉक्टरों से उपचार कराया। लेकिन पेटदर्द आराम नहीं हुआ। तीन साल बाद वे सातारा जिले के अपने गांव लौट आए।
गांव में खेती करते वक्त भी यह तकलीफ कम नहीं हुई तब गांव की ही एक बुजुर्ग महिला ने उन्हें यह उपाय बताया। महिला ने उन्हें पत्थरनुमा मिट्टी के टुकड़े खाने को कहा। रामदास ने तब से हरदिन मिट्टी के पत्थर खाने शुरू किए। 1989 से वे हर दिन 250 ग्राम मिट्टी के पत्थर खाते हैं। इससे उनके पेट का दर्द कम हो गया।
डॉक्टर भी देखकर हैरान
कुछ दिन पहले रामदास को हॉस्पिटल में भर्ती किया गया था। इस दौरान उनके पेट का सिटी स्कैन किया गया था। सीटी स्कैन करने पर डॉक्टरों को दिखा कि उनके पट में मिट्टी के पत्थरों की परत जम गई है। डॉक्टरों ने इसे चमत्कार ही माना कि इतने पत्थर पेट में होने के बावजूद भी उन्हें इससे तकलीफ नहीं होती।
रामदास अपनी जेब में हमेशा मिट्टी के पत्थर रखे रहते हैं और जब मन करता है उन्हें खाते रहते हैं। इस घटनाक्रम का नतीजा ये हुआ कि रामदास को 80 साल की उम्र में खूब लोकप्रियता मिल रही है। दूर दूर से लोग उन्हें मिलने के लिए आते हैं। हालांकि नवप्रदेश ऐसा करने की सलाह बिल्कुल भी नहीं देता। बेहतर यही है कि डॉक्टरों के परामर्श अनुसार दवाइयां ही लें।