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संपादकीय: महिला नेत्रियों के खिलाफ आपत्तिजनक टिप्पणी निंदनीय

Objectionable remarks against women leaders are condemnable

Objectionable remarks against women

Objectionable remarks against women: चुनाव के दौरान विभिन्न राजनीतिक पार्टियों के नेता आपस में एक दूसरे पर आरोप प्रत्यारोप लगाते रहते है। इसमें कोई हर्ज भी नहीं है। किन्तु इस जुबानी जंग में मर्यादा का ध्यान रखा जाना चाहिए। खासतौर पर किसी महिला नेत्रीय के बारे में तो अपमान जनक टिका टिप्पणी हरगीज नहीं की जानी चाहिए।

क्योंकि यह पूरी मात्र शक्ति का अपमान कहलाता है। महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के दौरान उद्धव ठाकरे गुट के एक सांसद ने शिवसेना श्ंिादे गुट की प्रत्याशी साइना एनसी के बारे में अत्यंत अपमानजनक टिप्पणी कर दी थी कि वे इम्पोर्टेड माल है।

उनके इस बयान को लेकर जब बवाल मचा और साइना एनसी ने उक्त सांसद के खिलाफ थाने में एफआईआर दर्ज करा दी तो उन्होंने अपने बयान के लिए माफी मांग ली।

यही पर यह मुद्दा खत्म होता लेकिन उद्धव ठाकरे की शिवसेना के ही एक अन्य नेता और राज्यसभा सदस्य संजय राउत ने साइना एनसी के बारे में दिए गए आपत्तिजनक बयान का समर्थन करते हुए आग में घी डालने का काम कर दिया। इसके बाद से अब शिवसेना शिंदे गुट भाजपा ने संजय राउत को निशाने पर ले लिया है।

गौरतलब है कि उद्धव ठाकरे के बेहद करीबी संजय राउत इसके पहले भी बदजुबानी करते रहे है उनके बड़बोलेपन के कारण ही शिवसेना टूटी है। और उद्धव ठाकरे के हाथ से न सिर्फ पार्टी का नाम और निशान निकला हैै

बल्कि उनके अधिकांश विधायक और सांसद भी उनका साथ छोड़कर एकनाथ शिंदे के साथ चले गए थे और चुनाव आयोग ने एकनाथ शिंदे गुट को ही असली शिवसेना करार दे दिया है।

यदि संजय राउत इसी तरह बोलवचन करते रहे और विपक्षी नेता व नेत्रियों के खिलाफ इसी तरह की अपमानजनक टिका टिप्पणी करते रहे तो उद्धव ठाकरे गुट को महाराष्ट्र विधानसभा के चुनाव मेें इसका खामियाजा भुगतना पड़ सकता है। बेहतर होगा कि संजय राउत जैसे बड़बोले नेताओं की जुबान दराजी पर उद्धव ठाकरे रोक लगाएं।

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