-अंतरिम रिपोर्ट को SC ने किया खारिज
-आखिर कोर्ट में हुआ क्या? क्या OBC आरक्षण के बिना चुनाव होंगे?
नई दिल्ली। OBC Reservation: राज्य पिछड़ा वर्ग आयोग ने ओबीसी राजनीतिक आरक्षण को लेकर सुप्रीम कोर्ट को अंतरिम रिपोर्ट सौंपी थी। आज सुप्रीम कोर्ट ने इस रिपोर्ट को खारिज कर दिया। यह राज्य सरकार के लिए एक बड़ा झटका है क्योंकि सुप्रीम कोर्ट ने रिपोर्ट को खारिज कर दिया है। पिछड़ा आयोग की अंतरिम रिपोर्ट को खारिज करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने वास्तव में क्या कहा? साथ ही, क्या अब ओबीसी आरक्षण के बिना चुनाव होंगे?
कोर्ट ने क्या कहा?
शीर्ष अदालत ने कहा कि राज्य पिछड़ा वर्ग आयोग द्वारा सौंपी गई रिपोर्ट में ओबीसी के राजनीतिक प्रतिनिधित्व के बारे में कोई ठोस जानकारी नहीं है। अदालत ने यह भी कहा कि स्थानीय निकायों में ओबीसी प्रतिनिधित्व की जानकारी उपलब्ध नहीं है। यह भी स्पष्ट नहीं है कि रिपोर्ट किस अवधि पर आधारित है।
आगामी चुनाव में ओबीसी आरक्षण नहीं है
शीर्ष अदालत ने रिपोर्ट को खारिज करते हुए आगे कहा कि अगले निर्देश तक ओबीसी को चुनाव में आरक्षण नहीं दिया जा सकता है। कोर्ट ने कहा है कि स्थानीय चुनाव ओबीसी आरक्षण के बिना होंगे। तो क्या अब राज्य में आगामी नगर निगम चुनाव बिना इस ओबीसी आरक्षण के होंगे? क्या चुनाव टाले जाएंगे? यह सवाल है खड़ा हो गया?
कोर्ट ने मांगा राजनीतिक आरक्षण का डाटा
शीर्ष अदालत ने कहा कि राज्य पिछड़ा वर्ग आयोग द्वारा सौंपी गई रिपोर्ट में ओबीसी के राजनीतिक प्रतिनिधित्व के बारे में कोई ठोस जानकारी नहीं है। अदालत ने यह भी कहा कि स्थानीय निकायों में ओबीसी प्रतिनिधित्व की जानकारी उपलब्ध नहीं है। यह भी स्पष्ट नहीं है कि रिपोर्ट किस अवधि पर आधारित है।
कैबिनेट बैठक में क्या होगा फैसला?
सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर मंत्री विजय वडेट्टीवार ने प्रतिक्रिया दी है। वडेट्टीवार ने कहा कि कैबिनेट की बैठक जल्द होने वाली है। इस बैठक में हम इस संबंध में चर्चा करेंगे और अगली भूमिका तय करेंगे। उन्होंने सुप्रीम कोर्ट के समक्ष जानकारी पेश की। कल हमारी भूमिका थी कि बिना ओबीसी आरक्षण के महाराष्ट्र में चुनाव न कराएं। आज हमारी भूमिका है और कल हमारी भूमिका होगी।
ऐसा ही मध्य प्रदेश, कर्नाटक और बिहार में हुआ। ओबीसी आरक्षण छह राज्यों में किया गया। बीजेपी शासित राज्यों में आरक्षण के सवाल का जवाब बीजेपी को देना चाहिए। अगर आप महाराष्ट्र में हम पर आरोप लगा रहे हैं तो दूसरे राज्यों में आपको कौन दोषी ठहराएगा।