-छत्तीसगढ़ में विकास को प्रेरित करते हुए एनएमडीसी के 66 वर्ष प्रगति, सशक्तिकरण और साझेदारी के छह दशकों का जश्न
NMDC has completed 66 years progress of Chhattisgarh: 21वीं शदी में छत्तीसगढ़ के प्राणकेंद्र बस्तर को दीर्घ समय से अपने घने जंगलों, समृद्ध आदिवासी संस्कृति और जटिल इतिहास से पारिभाषित किया जाता रहा है । कभी विद्रोह की चुनौतियों से जूझता हुआ यह क्षेत्र अब परिवर्तन की राह पर अग्रसर है, जो कि मूलत: भारत के सबसे बड़े लौह अयस्क उत्पादक एनएमडीसी के कारण संभव हुआ है ।
1958 में इसकी स्थापना के बाद और 1968 में बैलाडीला, छत्तीसगढ़ में प्रचालन शुरू होने के उपरांत एक निर्जन क्षेत्र से भारत के सर्वोच्च लौह अयस्क उत्पादक राज्य में परिवर्तित करते हुए एनएमडीसी ने इस क्षेत्र की पहचान को पुन:वर्णित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। जब एनएमडीसी अपनी स्थापना का 66 वां वर्ष मना रहा है, कंपनी बस्तर के सामाजिक-आर्थिक परिदृश्य और छत्तीसगढ़ की पहचान को परिवर्तित करने में अपने महत्वपूर्ण प्रभाव को दर्शाती है ।
छत्तीसगढ़ को भारत के सर्वोच्च लौह अयस्क उत्पादक राज्य के रूप में पहचान दिलाई
बैलाडीला से दंतेवाड़ा और जगदलपुर के लिए एनएमडीसी आशा और विकास का प्रतीक रहा है । इसके दो खनन केंद्र, बचेली और किरंदुल कॉम्प्लेक्स, न केवल लौह अयस्क उत्पादन को बढ़ाने में महत्वपूर्ण रहें हैं, बल्कि बुनियादी ढांचे के विकास, रोजगार सृजन और सामुदायिक कल्याण कार्यक्रमों के द्वारा क्षेत्र के आर्थिक उन्नति में भी सहयोगी रहें हैं । बचेली और किरंदुल ने अपने संयुक्त उत्पादन से छत्तीसगढ़ को भारत के सर्वोच्च लौह अयस्क उत्पादक राज्य के रूप में पहचान दिलाई है ।
विकास और समुदाय सशक्तिकरण पर बल
लंबे समय से रॉयल्टी, कर और शुल्क के माध्यम से एनएमडीसी (NMDC has completed 66 years progress of Chhattisgarh) ने योगदान किया है, जो कि पिछले छह वर्षों में कुल मिलाकर लगभग रू.20,000 करोड़ है, इसने लोक सेवाओं, बुनियादी परियोजनाओं और कल्याण कार्यक्रमों के लिए आवश्यक वित्तीय सहायता प्रदान की है, जिससे इस क्षेत्र के अनेक रहवासियों और समुदायों को फायदा पहुंचा है। स्थानीय समुदायों के उत्थान के लिए एनएमडीसी ने पिछले दस वर्षों में विविध सीएसआर गतिविधियों के तहत केवल छत्तीसगढ़ में लगभग रू.1,400 करोड़ का निवेश किया है, जिसके द्वारा शिक्षा, स्वास्थ्य, बुनियादी ढांचे के विकास और समुदाय सशक्तिकरण पर बल दिया गया है ।
बस्तर क्षेत्र के अनगिनत परिवारों को सहायता
एनएमडीसी का एक सबसे प्रभावशाली योगदान शिक्षा और रोजगार के क्षेत्र में है । कंपनी की पहल से 5,000 से अधिक व्यक्तियों को प्रत्यक्ष रूप से रोजगार प्राप्त हुआ तथा बीस हजार से अधिक लोगों के लिए रोजगार के अप्रत्यक्ष अवसर सृजित हुए हैं, जिससे की बस्तर क्षेत्र के अनगिनत परिवारों को सहायता मिली है । बड़ी संख्या में स्कूल ड्रॉपआउट की चुनौती को देखते हुए एनएमडीसी ने अपना शिक्षा सुधार कार्यक्रम प्रारंभ किया, जिससे 4,367 बच्चों को लाभ मिला है । इसमें 2027 बालिकाएँ शामिल हैँ । शिक्षा सहयोग जैसी पहल के माध्यम से एनएमडीसी प्रत्येक वर्ष 18,000 से अधिक विद्यार्थियों को छात्रवृत्ति प्रदान करता है ।
दृढ्ता के साथ भागीदार होने की प्रतिबद्धता
श्री अमिताभ मुखर्जी, अध्यक्ष एवं प्रबंध निदेशक (अतिरिक्त प्रभार) ने बस्तर के विकास की सराहना करते हुए कहा, एनएमडीसी की छत्तीसगढ़ की छह दशकों से अधिक की यात्रा को याद करते हुए मैं अपने कर्मचारियों के अटूट समर्पण और स्थानीय, विशेषकर बस्तर के समुदायों से सदैव प्राप्त समर्थन के लिए हृदय से आभारी हूं । एनएमडीसी की प्रतिबद्धता खनन से कहीं अधिक विस्तृत है; यह क्षेत्र की प्रगति में दृढ्ता के साथ भागीदार होने की प्रतिबद्धता है।
यह सुनिश्चित करने की प्रतिबद्धता है कि बस्तर के विकास के साथ-साथ उसकी समृद्ध विरासत और संस्कृति फलती-फूलती रहे । हम राष्ट्रीय उद्देश्य के लिए पूर्ण रूप से प्रतिबद्ध हैं, इस क्षेत्र की अनूठी सांस्कृतिक विरासत को संरक्षित करते हुए इसके सामाजिक-आर्थिक उत्थान में योगदान देने के राष्ट्र के संकल्प के प्रति गम्भीरता से जुडे हुए हैं। हम सब मिलकर छत्तीसगढ़ और अपने राष्ट्र के भविष्य को अधिक सुदृढ और समृद्ध बनाएंगे ।”
आर्थिक विकास में महत्वपूर्ण योगदान दे रहा
राज्य के लिए निगम का विजन खनन से कहीं अधिक विस्तृत है; इसमें एक आत्मनिर्भर क्षेत्र का निर्माण शामिल है। ऐसी ही एक परियोजना है छत्तीसगढ़ के नगरनार में एनएमडीसी (NMDC has completed 66 years progress of Chhattisgarh) का इस्पात संयंत्र है, जो बस्तर को भारत के इस्पात मानचित्र पर लाया है और इस क्षेत्र के लौह अयस्क को उच्च गुणवत्ता वाले स्टील में परिवर्तित कर रहा है । 3 मिलियन टन प्रति वर्ष की क्षमता के साथ, इस्पात संयंत्र ने बस्तर में एक ऐसे पारिस्थितिकी तंत्र का निर्माण किया है जो सामाजिक-आर्थिक प्रगति को बढावा देता है ।
इसने 3,000 से अधिक प्रत्यक्ष रोजगार और 15,000 संविदात्मक रोजगार सृजित किए हैं, और स्थानीय युवाओं के लिए अनगिनत अवसर प्रदान कर संयंत्र इस क्षेत्र के आर्थिक विकास में महत्वपूर्ण योगदान दे रहा है । बैलाडीला रेंज के पहाड़ी इलाकों से, एनएमडीसी ने नगरनार के रास्ते बैलाडीला से विशाखापत्तनम तक 15 एमटीपीए स्लरी पाइपलाइन बिछाने की एक महत्वाकांक्षी परियोजना शुरू की है । यह पहल स्थानीय समुदायों के लिए कई अवसर पैदा करने, उनकी आजीविका बढ़ाने और आय अंतर को कम करने का आश्वासन देती है।
एक ऐसी भूमि के लिए जो कभी कनेक्टिविटी से वंचित थी, दंतेवाड़ा में भीतरी इलाकों को जोडऩे वाली फोर-लेन सड़क गौरव पथ का निर्माण एक वरदान है। इसी तरह, जगदलपुर के लिए 19.4 किलोमीटर लंबे बाईपास के निर्माण के लिए छत्तीसगढ़ सरकार के साथ साझेदारी ने क्षेत्रीय कनेक्टिविटी और पहुंच में काफी वृद्धि की है।
हॉस्पिटल ऑन व्हील्स के रूप में जाना जाता
दूरदराज के गांवों में जिनकी स्वास्थ्य केंद्रों तक पहुंच नहीं है, एनएमडीसी ने 50 से अधिक गांवों में अनिवार्य चिकित्सा सेवाएं प्रदान करने के लिए अस्पतालों और मोबाइल चिकित्सा इकाइयों की स्थापना की है, जिन्हें हॉस्पिटल ऑन व्हील्स के रूप में जाना जाता है। प्रत्येक वर्ष, लगभग 100,000 बाह्य रोगी और 35,000 अंत: रोगी इन परियोजना अस्पतालों में मुफ्त उपचार प्राप्त करते हैं । इसके अतिरिक्त, एनएमडीसी ने जगदलपुर में 50 करोड़ रुपये की लागत से उन्नत सुविधाओं के साथ एक अत्याधुनिक मेडिकल कॉलेज को सहयोग किया है।
कार्बन उत्सर्जन में कमी लाने में महत्वपूर्ण योगदान
पर्यावरण पर प्रभाव डालना खनन की प्रकृति है। व्यापक वनीकरण और संरक्षण प्रयासों के माध्यम से एनएमडीसी इस प्रभाव को कम करता है । तीन मिलियन से अधिक पेड़ लगाकर और जिम्मेदार खनन प्रथाओं को अपनाकर, एनएमडीसी ने जैव विविधता संरक्षण और कार्बन उत्सर्जन में कमी लाने में महत्वपूर्ण योगदान दिया है । इसके अतिरिक्त, एनएमडीसी ने बचेली कॉम्प्लेक्स में वनीकरण गतिविधियों का समर्थन करने के लिए राज्य की हरियार कोष पहल में लगभग 112 करोड़ रुपये का निवेश किया है।
बस्तर और छत्तीसगढ़ को संवारने में एनएमडीसी की उपलब्धियां स्थानीय समुदायों, सरकारी अधिकारियों और कर्मचारियों के निरंतर सहयोग के बिना संभव नहीं थीं। कंपनी की योजना लौह अयस्क उत्पादन क्षमता बढ़ाने, कौशल विकास कार्यक्रमों का विस्तार करने और नवीकरणीय ऊर्जा परियोजनाओं में निवेश करने, सामुदायिक सशक्तिकरण और क्षेत्रीय विकास की अपनी परम्परा को जारी रखने की है।