रावतपुरा सरकार मेडिकल कॉलेज रिश्वतकांड (NMC Bribery Scandal Chhattisgarh) में आरोपी पांच अधिकारियों को हाई कोर्ट से बड़ी राहत मिली है। अदालत ने मामले की जटिलता और ट्रायल के लंबे समय को देखते हुए जमानत मंजूर कर ली। जिन आरोपितों को राहत मिली है, उनमें रवि चंद्राकर, चैत्र श्रीधर, मयूर रावल, राघवन रंदीप नायर और अतुल कुमार तिवारी शामिल हैं।
सीबीआई की ओर से दायर आरोपपत्र में कहा गया है कि इन पर नेशनल मेडिकल कमीशन (NMC) के निरीक्षकों को मेडिकल कॉलेज की मान्यता रिपोर्ट में अनुकूल टिप्पणी दर्ज कराने के लिए रिश्वत देने का आरोप है। जांच एजेंसी ने बताया कि रिश्वत की रकम कथित तौर पर कॉलेज प्रशासन के जरिए दी गई थी।
बचाव पक्ष की ओर से पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता सिद्धार्थ देव और हर्षवर्धन परगनिहा ने कहा कि चार्जशीट में 18,000 पन्ने और 129 गवाह हैं, जिससे ट्रायल में लंबा समय लगेगा। अधिवक्ताओं ने यह भी कहा कि मयूर रावल के खिलाफ प्रत्यक्ष साक्ष्य नहीं हैं। अन्य आरोपितों की पैरवी वरिष्ठ अधिवक्ता मनोज परांजपे ने की।
सीबीआई की रिपोर्ट में सामने आया है कि इस नेटवर्क में डॉ. मंजप्पा सी.एन. (टीम प्रमुख), डॉ. चैत्रा एम.एस., डॉ. अशोक शेलके, डॉ. अतुल कुमार तिवारी, और सथीशा ए. जैसे नाम शामिल हैं। इनके अलावा चैत्रा के पति रविचंद्र के. की भी गिरफ्तारी हुई थी।
(NMC Bribery Scandal Chhattisgarh) रिश्वत के नेटवर्क की जड़ें गहरी
सीबीआई जांच के अनुसार, नवा रायपुर स्थित रावतपुरा सरकार मेडिकल कॉलेज की टीम ने एनएमसी निरीक्षण में अनुकूल रिपोर्ट हासिल करने के लिए करोड़ों रुपये का सौदा किया था। एडमिनिस्ट्रेटिव डायरेक्टर अतुल तिवारी सहित पांच लोगों को इस मामले में पहले ही गिरफ्तार किया गया था। सीबीआई ने कॉलेज के डॉ. अतीन कुंडू के घर पर छापेमारी की थी और वहां से कई दस्तावेज जब्त किए थे।
जांच में खुलासा हुआ है कि रायपुर के सरकारी मेडिकल कॉलेज में कार्यरत एक असिस्टेंट प्रोफेसर भी इस निजी कॉलेज से जुड़ा था और दोहरी नौकरी करते हुए निरीक्षण दल से संपर्क में था। सीबीआई ने इसे एक “संगठित रिश्वत तंत्र” बताया है, जो मेडिकल कॉलेजों की मान्यता प्रक्रिया को प्रभावित कर रहा था।

