ढाई साल में करीब डेढ़ लाख बच्चे कुपोषण मुक्त-नीति आयोग
रायपुर/नवप्रदेश। Suposhan Abhiyan ; नीति आयोग द्वारा छत्तीसगढ़ में मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के नेतृत्व में राज्य सरकार द्वारा संचालित महत्वकांक्षी ‘‘मुख्यमंत्री सुपोषण अभियान’’ की विशेष रूप से सराहना की गई है। आयोग द्वारा ट्विट कर छत्तीसगढ़ में इसके सफल क्रियान्वयन और उपलब्धि को उल्लेखित कर बधाई दी है।
नीति आयोग ने अपने ट्वीट में लिखा- “मुख्यमंत्री सुपोषण अभियान, छत्तीसगढ़ में शुरू होने के दो साल बाद, लगभग 1.5 लाख बच्चों को कुपोषण से बाहर निकाला है, जिससे राज्य में कुपोषित बच्चों की संख्या में 32 प्रतिशत की गिरावट आई है।
उल्लेखनीय है कि मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की कुपोषण मुक्ति की पहल पर छत्तीसगढ़ में महात्मा गांधी की 150वीं जयंती 2 अक्टूबर 2019 से शुरू हुए प्रदेशव्यापी मुख्यमंत्री सुपोषण अभियान का अच्छा प्रतिसाद मिलने लगा है। मुख्यमंत्री सुपोषण अभियान के साथ विभिन्न योजनाओं के एकीकृत प्लान और समन्वित प्रयास से बच्चों में कुपोषण दूर करने में बड़ी सफलता मिली है।
प्रदेश में जनवरी 2019 की स्थिति में चिन्हांकित कुपोषित बच्चों (Suposhan Abhiyan) की संख्या 4 लाख 33 हजार 541 थी, इनमें से मई 2021 की स्थिति में लगभग एक तिहाई 32 प्रतिशत अर्थात एक लाख 40 हजार 556 बच्चे कुपोषण से मुक्त हो गए है। जो कुपोषण के खिलाफ शुरू की गई जंग में एक बड़ी उपलब्धि है। बहुत ही कम समय में ही प्रदेश में कुपोषण की दर में उल्लेखनीय कमी आई है, इसका श्रेय मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के कुशल नेतृत्व और उनकी दूरदर्शी सोच को जाता है।
छत्तीसगढ़ में नई सरकार के गठन के बाद मुख्यमंत्री बघेल ने राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण-4 के आंकड़ों में महिलाओं और बच्चों में कुपोषण और एनीमिया की दर को देखते हुए प्रदेश को कुपोषण और एनीमिया से मुक्त करने अभियान की शुरूआत की। राष्ट्रीय परिवार सर्वेक्षण-4 के अनुसार प्रदेश के 5 वर्ष से कम उम्र के 37.7 प्रतिशत बच्चे कुपोषण और 15 से 49 वर्ष की 47 प्रतिशत महिलाएं एनीमिया से पीड़ित थे। इन आंकड़ों को देखे तो कुपोषित बच्चों में से अधिकांश आदिवासी और दूरस्थ वनांचल इलाकों के बच्चे थे।
राज्य सरकार ने कुपोषण को एक चुनौती के रूप में लिया और ‘कुपोषण मुक्त छत्तीसगढ़‘ की संकल्पना के साथ महात्मा गांधी की 150वीं जयंती से पूरे प्रदेश में मुख्यमंत्री सुपोषण अभियान (Suposhan Abhiyan) की शुरूआत की। अभियान को सफल बनाने के लिए इसमें जन-समुदाय का भी सहयोग लिया गया।