रायपुर, नवप्रदेश। राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान रायपुर में चल रही प्लेसमेंट प्रक्रिया में विभिन्न बहुराष्ट्रीय कंपनिया प्लेसमेंट के लिए आ रही है। इसी कड़ी में आई. टी. विभाग के अंतिम वर्ष के विद्यार्थी ट्विंकल अग्रवाल, माहिम मित्तल, आकाशदीप चंद्राकर, और ओमप्रकाश पटेल,
कंप्यूटर साइंस एंड इंजीनियरिंग विभाग के छात्र आकाश सूदन, तुषार सिंह, वाशु जैन, चोडिसेटी वेंकट रोहिथ, अतुल राठौर, मानस चंद्रवंशी, पबबिसेट्टी साई वेंकट तरुण कुमार, और हर्षदीप राघवंशी ने टेकियन में सॉफ्टवेयर डेवलपर्स के रूप में 47 लाख (एलपीए) का प्लेसमेंट हासिल किया (NIT Raipur) है।
साथ ही जानीमानी मल्टीनेशनल कंपनी वीज़ा ने सूचना प्रौद्योगिकी विभाग(आई. टी.) के अंतिम वर्ष के छात्रों दुर्गेश पुष्पकर, ललित कुमार जेना और हेमंत पटेल, कंप्यूटर साइंस एंड इंजीनियरिंग विभाग के विद्यार्थी गृतिका चंद्राकर और भारत भूषण टंडन,
इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग के छात्र मो. सादिक, और इलेक्ट्रॉनिक्स और टेलीकम्यूनिकेशन इंजीनियरिंग के छात्र हेमंत कुमार राठौर को सॉफ्टवेयर डेवलपिंग इंजीनियर्स के रूप में 28.5 लाख (एलपीए) का प्लेसमेंट ऑफर दिया।
छत्तीसगढ़ के कोरिया के सुशांत पांडे ने उल्लेख किया कि उन्होंने उडेमी पर उपलब्ध विभिन्न पाठ्यक्रमों का पालन करते हुए दूसरे सेमेस्टर में वेब डेवलपमेंट का अभ्यास शुरू किया और तीसरे सेमेस्टर में उन्होंने डेटा स्ट्रक्चर्स और एल्गोरिदम (डीएसए) का अभ्यास शुरू किया।
उन्होंने बताया कि हैकररैंक और गीक्स-फॉर-गीक्स जैसे कोडिंग प्लेटफॉर्म शुरुआती अभ्यास के लिए अच्छे हैं जिसमे उन्हें मजबूत नींव बनाने में मदद मिली। डीएसए पर पकड़ बनाने के बाद, उन्होंने लीटकोड की बेहतर समझ के लिए समस्याओं को हल करना शुरू किया और इसके साथ ही उन्होंने प्रतिस्पर्धी प्रोग्रामिंग में अपनी दक्षता विकसित करने के लिए विभिन्न प्रतियोगिताओं में भाग (NIT Raipur) लिया।
उन्होंने यह भी बताया कि ऑनलाइन मूल्यांकन के लिए दक्षता और गति विकसित करने के लिए प्रतियोगी प्रोग्रामिंग में अच्छी दक्षता होना आवश्यक है। इसके अलावा, उन्होंने बताया कि साक्षात्कार के दौरान परियोजनाएँ बहुत मदद करती हैं और सुझाव दिया कि परियोजना का चयन करते समय हमें वास्तविक दुनिया की कुछ समस्याओं को हल करने का प्रयास करना चाहिए। अंत में उन्होंने बताया कि मुख्य कंप्यूटर साइंस संबंधी विषयों के बारे में ज्ञान होने से उन्हें साक्षात्कारों में बढ़त मिली।
वाराणसी, उत्तर प्रदेश के रहने वाले मो. सादिक ने गीक्स-फॉर-गीक्स और लीटकोड जैसे ऑनलाइन प्लेटफॉर्म पर अपनी समस्या-समाधान अभ्यास पर जोर देते हुए अपनी तैयारी की। उन्होंने बताया कि उन्होंने दूसरे वर्ष के बाद अपने ग्रीष्मकालीन अवकाश के दौरान प्लेसमेंट की तैयारी शुरू कर दी थी।
मो. सादिक ने जूनियर्स को सलाह देते हुए कहा कि वे प्रत्येक प्रश्न को उचित समय दें और समस्या के समाधान हेतु ऑनलाइन प्लेटफॉर्म का उपयोग करें। उन्होंने एक अच्छे प्रोजेक्ट के निर्माण के महत्व पर जोर (NIT Raipur) दिया। उन्होंने जूनियर्स को डेटा स्ट्रक्चर्स और एल्गोरिदम पर ध्यान केंद्रित करने और प्रतिस्पर्धी प्रोग्रामिंग में अभ्यास करने की सलाह दी।
मो. सादिक ने यह भी बताया कि प्लेसमेंट प्रक्रिया के दौरान उम्मीदवारों और कंपनियों के बीच समग्र संचार बहुत सुचारू था जिसमें एनआईटी रायपुर के ट्रेनिंग और प्लेसमेंट सेल ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
छत्तीसगढ़ के कोरबा के हेमंत कुमार राठौर को वीजा से सॉफ्टवेयर इंजीनियर के रूप में 28.5 एलपीए का पैकेज प्राप्त हुआ। उनका कोडिंग का सफर उनके हाई स्कूल कोरबा से शुरू हुआ। वह केन्द्रीय विद्यालय गए जहां उन्होंने कंप्यूटर विज्ञान का चयन किया जिससे कोडिंग की ओर उनकी रुचि बढ़ी।
दूसरे वर्ष से, उन्होंने एंड्रॉइड डेवलपमेंट में फ्रीलांसिंग का काम करना शुरू कर दिया, इसलिए शुरुआत में वे डेवलपमेंट पर अधिक ध्यान दे रहे थे, लेकिन बाद में उन्होंने प्रतिस्पर्धी प्रोग्रामिंग और डेटा स्ट्रक्चर सीखने पर ध्यान केंद्रित किया। इसके साथ ही उन्होंने गीक्स-फॉर-गीक्स प्लेटफॉर्म में डेटा स्ट्रक्चर्स और एल्गोरिदम के बारे में लेख लिखना शुरू किया।
अपने तृतीय वर्ष में कोई इंटर्नशिप हासिल नहीं करने के बाद वह निराश हो गए थे परन्तु इसने उसे अपने कोडिंग कौशल पर और अधिक काम करने तथा सर्वश्रेष्ठ के लिए तैयार रहने प्रेरित किया। अपने साक्षात्कार के अनुभव को साझा करते हुए उन्होंने कहा कि 4 दौर की प्रक्रिया में एक कोडिंग चैलेंज और 3 लगातार साक्षात्कार शामिल थे।
कोडिंग में उच्च स्तरीय डीएसए प्रश्न शामिल थे। अंतिम साक्षात्कार जिसे वीज़ा के वाईस प्रेसिडेंट ने स्वयं लिया था, वह एक विशेष अनुभव था। इस पूरी प्रक्रिया ने उन्हें अपनी सीमाओं का विस्तार करने और अपना सर्वश्रेष्ठ देने के लिए प्रेरित किया।