नई दिल्ली। Supreme Court Judge : नौ नए न्यायाधीशों ने मंगलवार को उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीशों के रूप में शपथ ली। भारत के मुख्य न्यायाधीश एन वी रमन्ना ने नए न्यायाधीशों को शपथ दिलाई। न्यायाधीशों के शपथ ग्रहण के बाद अब सुप्रीम कोर्ट में केवल एक पद रिक्त है, जिसमें 34 न्यायाधीशों की स्वीकृत संख्या है।
18 अगस्त को, सुप्रीम कोर्ट ने अपनी वेबसाइट पर उन नौ व्यक्तियों के नाम प्रकाशित किए, जिनकी शीर्ष अदालत में न्यायाधीशों (Supreme Court Judge) के रूप में नियुक्ति के लिए सिफारिश की गई थी। मुख्य न्यायाधीश रमन्ना की अध्यक्षता में सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम ने यह निर्णय लिया और इसमें शीर्ष अदालत के चार वरिष्ठतम न्यायाधीश शामिल थे। इन नामों को बाद में केंद्र सरकार ने 26 अगस्त को मंजूरी दी थी।
नए नौ न्यायाधीश हैं: जस्टिस ए.एस. ओका, जस्टिस विक्रम नाथ, जस्टिस जे.के. माहेश्वरी, न्यायमूर्ति हिमा कोहली, जस्टिस बी.वी. नागरत्ना, जस्टिस सी.टी. रविकुमार, जस्टिस एम.एम. सुंदरेश, जस्टिस बेला त्रिवेदी और वरिष्ठ एडवोकेट पी.एस. नरसिम्हा शामिल हैं।
SC ने रचा इतिहास
सर्वोच्च न्यायालय के इतिहास में 31 अगस्त सभी के लिए यादगार बन गया। आज 9 जजों के शपथ लेने वालों में तीन महिला जस्टिस (Supreme Court Judge) भी शामिल हैं। सुप्रीम कोर्ट में जिन तीन महिला जस्टिस को शपथ दिलाई गई, वे वीबी नागरत्ना, हिमा कोहली और बेला त्रिवेदी हैं।
न्यायमूर्ति बी.वी. नागरत्ना, सितंबर 2027 में भारत की पहली महिला मुख्य न्यायाधीश बनने की कतार में हैं। न्यायमूर्ति नागरत्ना के पिता, न्यायमूर्ति ई.एस. वेंकटरमैया, 1989 में कुछ महीनों के लिए सीजेआई रहे थे। वर्तमान में, न्यायमूर्ति इंदिरा बनर्जी शीर्ष अदालत में एकमात्र सेवारत महिला न्यायाधीश हैं।
पहले थे यहां पदस्थ
शीर्ष अदालत के न्यायाधीशों के रूप में पद की शपथ लेने वाले नौ नए न्यायाधीशों में न्यायमूर्ति अभय श्रीनिवास ओका (जो कर्नाटक उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश थे), न्यायमूर्ति विक्रम नाथ (जो गुजरात उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश थे) , न्यायमूर्ति जितेंद्र कुमार माहेश्वरी (जो सिक्किम उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश थे), न्यायमूर्ति हिमा कोहली (जो तेलंगाना उच्च न्यायालय की मुख्य न्यायाधीश थीं) और न्यायमूर्ति बी.वी.नागरत्ना (जो कर्नाटक उच्च न्यायालय की न्यायाधीश थीं), न्यायमूर्ति सीटी रविकुमार (जो केरल उच्च न्यायालय के न्यायाधीश थे), न्यायमूर्ति एमएम सुंदरेश (जो मद्रास उच्च न्यायालय के न्यायाधीश थे), न्यायमूर्ति बेला एम त्रिवेदी (जो गुजरात उच्च न्यायालय की न्यायाधीश थीं) और पी.एस.नरसिम्हा (जो एक वरिष्ठ अधिवक्ता और पूर्व अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल थे) को भी प्रधान न्यायाधीश द्वारा पद की शपथ दिलाई गई।