NHM Strike : राज्य शासन की सख्त चेतावनी के बावजूद राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन (NHM Strike) के कर्मचारी अब तक काम पर नहीं लौटे हैं। स्वास्थ्य विभाग का कहना है कि कुछ जिलों में कर्मचारी लौटे हैं, लेकिन बड़े पैमाने पर हड़ताल जारी है। 18 अगस्त से 10 सूत्री मांगों को लेकर अनिश्चितकालीन हड़ताल कर रहे एनएचएम कर्मियों की वजह से स्वास्थ्य सेवाएं बुरी तरह प्रभावित हो रही हैं।
स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग ने सोमवार को आदेश जारी करते हुए कहा था कि 16 सितम्बर तक अनुपस्थित रहने वाले अधिकारियों और कर्मचारियों को एक माह का नोटिस देकर सेवा समाप्ति की कार्रवाई की जाएगी। साथ ही इन रिक्तियों पर नई नियुक्ति प्रक्रिया शुरू की जाएगी। इससे पहले 3 सितम्बर को 25 कर्मचारियों को बर्खास्त किया जा चुका है। इसके विरोध में पूरे प्रदेश के एनएचएम कर्मियों ने सामूहिक इस्तीफा दिया था।
एनएचएम कर्मचारी संघ के अध्यक्ष डॉ. अमित कुमार मिरी ने कहा कि सरकार ने पांच मांगों को पूरा करने का आश्वासन दिया है, लेकिन वह भी अधूरा है। जब तक सभी मांगें पूरी नहीं होंगी हड़ताल जारी रहेगी। संघ ने केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री जेपी नड्डा को पत्र लिखकर (Government Intervention) की मांग की है।
कर्मियों की मुख्य मांगें
कर्मचारियों की मांगों में – संविलियन और स्थायीकरण, पब्लिक हेल्थ कैडर की स्थापना, ग्रेड पे निर्धारण, कार्य मूल्यांकन में पारदर्शिता, लंबित 27% वेतन वृद्धि, नियमित भर्ती में आरक्षण, अनुकंपा नियुक्ति, मेडिकल अवकाश, स्थानांतरण नीति और 10 लाख रुपये का कैशलेस चिकित्सा बीमा शामिल है।
कांग्रेस ने बताया मांगों को जायज
कांग्रेस ने एनएचएम कर्मियों की मांगों को जायज ठहराते हुए हड़ताल का समर्थन किया है। प्रदेश कांग्रेस संचार विभाग अध्यक्ष सुशील आनंद शुक्ला ने कहा कि राज्य सरकार को मांगें तुरंत मान लेनी चाहिए और हड़ताल खत्म करानी चाहिए। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार ने साफ किया है कि स्वास्थ्य राज्य का विषय है। ऐसे में राज्य सरकार निर्णय लेने के लिए स्वतंत्र है। कांग्रेस का आरोप है कि राज्य सरकार केवल केंद्र पर जिम्मेदारी डालकर कर्मचारियों को गुमराह कर रही है और यह (Health Workers Protest) के साथ धोखा है।