News Channel Debate : एक जमाने में दूरदर्शन को बुद्धुबक्सा कहा जाता था बाद में निजी चैनलों की भरमार हो गई। जिनके बीच अपनी टीआरपी बढ़ाने की होड़ लग गई है। लगभग हर खबरिया चैनल डिबेट के नाम पर ऊबाउ और पकाऊ बहस कराने लगा है। आधे घंटे से पोन घंटे तक चलने वाले इस बहस का स्तर लगातार गिरता जा रहा है। कुछ खबरिया चैनलों में तो एंकर खुद इस कदर चीखते चिल्लाते है कि पेनलिस्ट की आवाज ही दब जाती है। सारे पेनलिस्ट एक साथ बोलना शुरू कर देते है जिससे दर्शकों को कुछ भी समझ में नहीं आता कि कौन क्या बोल रहा है।
इन खबरिया चैनलों (News Channel Debate) में बहस के नाम पर व्यर्थ का बवाल ही खड़ा किया जाता है। नतीजतन पैनलिस्टों में तू तू मै-मै तो आम बात हो गई है अब तो गाली गुफ्तार और झूमा झटकी की नौबत आने लगी है। एकाद खबरिया चैनलों में तो पैनलिस्टों के बीच मार पीट की घटना भी हो चुकी है। यदि इसी तरह चलता रहा तो वह दिन दूर नहीं जब इन खबरिया चैनलों के स्टूडियों में खून खराबे की नौबत आ जाएं। एंकर भी पता नहीं कहां कहां से राजनीतिक विश्लेषक के रूप में ऐसे लोगों को पकड़कर ले आते है जो बेतूकी बातें करते है।
लोगों की भावनाओं को भड़काते है। ऐसे ही एक कार्यक्रम के दौरान भाजपा की प्रवक्ता नुपूर शर्मा ने एक धर्म विशेष के बारे में आपत्तिजनक टिप्पणी कर दी जिसके लिए उन्हे भाजपा ने पार्टी से निलंबित कर दिया। वहीं कई ऐसे पेनलिस्ट है जो इससे भी ज्यादा आपत्तिजनक बातें करते है लेकिन उनके खिलाफ कोई कार्यवाही नहीं होती। हैरत की बात तो यह है कि कुछ खबरियां चैनलों में पाकिस्तानियों को भी शामिल किया जाता है जो हिन्दुस्तान को गालियां देते रहते है और हमारे एंकर सिर्फ नाम मात्र का ही विरोध जताते है।
समझ मे नहीं आता (News Channel Debate) कि देश को गाली खिलाने के लिए पाकिस्तान से रक्षा विशेषज्ञ के रूप में ऐसे बदतमीज लोगों को आखिर क्यों शामिल किया जाता है। खबरिया चैनलों के इस वाहियात डिबेट से अब लोगों को ऊब होने लगी है और अब वे ऐसी वाहियात बहस का बष्किार करने लगे है। बेहतर होगा कि खबरिया चैनल अपने बहस का स्तर सुधारने के लिए गंभीर प्रयास करें और अपनी लक्ष्मण रेखा खुद तक करें वरना लोग खबरिया चैनल देखना बंद कर के मनोरंजक चैनलों पर फिल्में देखना ज्यदा पसंद करेंगे।