-पूर्व प्रधानमंत्री ओली ने प्रचंड को भारत आने से रोकने की कोशिश की
काठमांडू। hydroelectric projects: नेपाल में प्रधानमंत्री पुष्प कमल दहल विपक्ष के बेकार विरोध को बताते हुए भारत के साथ एक प्रमुख ऊर्जा समझौते पर मुहर लगाने के लिए तैयार हैं। दोनों देशों के अधिकारी अगले सप्ताह समझौते पर हस्ताक्षर करेंगे। इससे पहले प्रचंड और पीएम मोदी अगले 10 साल के भीतर नेपाल से 10 हजार मेगावॉट बिजली खरीदने पर सहमत हुए हैं।
इसके साथ ही पिछले दो जून को नेपाल और भारत के ऊर्जा सचिवों के बीच इस संबंध में एक प्रारंभिक समझौते पर भी हस्ताक्षर किए गए। इससे पहले चीन के इशारों पर नाचने वाले नेपाल के पूर्व प्रधानमंत्री केपी ओली ने प्रचंड को भारत आने से रोकने की कोशिश की थी। साथ ही बिजली के ठेके पर भी सवाल उठाया।
काठमांडू पोस्ट के मुताबिक, समय और दोनों देशों की कैबिनेट से मंजूरी नहीं मिलने के कारण अंतिम समझौते पर हस्ताक्षर नहीं हो सके। लेकिन अब दोनों देश सभी जरूरी प्रक्रियाएं पूरी कर चुके हैं और समझौते पर हस्ताक्षर करने को तैयार हैं। बताया जा रहा है कि 18 जून को एक औपचारिक समझौते पर हस्ताक्षर हो सकते हैं। अब भारत नेपाल के हाइड्रोकार्बन क्षेत्र में भारी निवेश कर रहा है। भारत नेपाल के साथ फुकोट करनाली और लोअर अरुण पनबिजली परियोजनाओं पर हस्ताक्षर करेगा।
भारत और नेपाल ने जलविद्युत के अलावा व्यापार और जल संसाधनों पर भी एक तंत्र विकसित किया है। प्रचंड के दौरे के बाद भारत और नेपाल के संबंधों में एक बार फिर सुधार हुआ है। हालांकि, नेपाल में विपक्षी दल इससे बेचैन है। कभी अखंड भारत के मुद्दे पर तो कभी सीमावाद को लेकर वे प्रधानमंत्री प्रचंड को निशाना बनाने की कोशिश करते हैं। नेपाल के पूर्व प्रधानमंत्री बाबूराम भट्टराई ने भारत को कोरी धमकी तक दे डाली थी।