Nepal politics : नेपाल की राजनीति में बड़ा बदलाव देखने के बाद पूर्व प्रधानमंत्री और CPN-UML के अध्यक्ष केपी शर्मा ओली शनिवार को पहली बार सार्वजनिक रूप से नजर आए। हाल ही में हुए जनरल ज़ेड (Gen-Z) आंदोलन ने जिस तरह राजनीतिक परिदृश्य को हिला दिया था, उसके बाद ओली की यह उपस्थिति राजनीतिक हलकों में उनकी वापसी का संकेत मानी जा रही है।
इस्तीफे के बाद गायब रहे थे ओली
8 सितंबर को भड़के आंदोलन के बाद 9 सितंबर को ओली ने प्रधानमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया था। इसके बाद वे लगभग तीन हफ्ते तक पब्लिक से दूरी बनाए रहे। शुरुआत में सेना की सुरक्षा घेरे में रहे और फिर अस्थायी निवास स्थान पर चले गए। उनकी पहली झलक CPN-UML पार्टी सचिवालय की बैठक के बाद सामने आई।
युवाओं के बीच दिखे ओली
भक्तपुर में आयोजित राष्ट्रिय युवा संघ (CPN-UML का छात्र संगठन) के कार्यक्रम में ओली की मौजूदगी को राजनीतिक विश्लेषक उनकी रणनीति मान रहे हैं। दरअसल, हाल ही में आंदोलन के दौरान युवाओं ने उनकी नीतियों और नेतृत्व शैली पर तीखी आलोचना की थी। अब सीधे युवा मंच पर दिखाई देना, उनके लिए समर्थन दोबारा हासिल करने की कोशिश माना जा रहा है।
नेपाल में हिंसक विरोध की पृष्ठभूमि
जनरल ज़ेड आंदोलन के दौरान देशभर में छात्रों और युवाओं ने भ्रष्टाचार के खिलाफ, राजनीतिक जवाबदेही की मांग और सोशल मीडिया बैन को वापस लेने के लिए सड़कों पर उतरकर प्रदर्शन किया। तीन हफ्ते तक चले इन प्रदर्शनों में हालात इतने बिगड़े कि यह 2006 के लोकतांत्रिक आंदोलन के बाद का सबसे हिंसक दौर साबित हुआ। सरकारी आंकड़ों के मुताबिक अब तक 74 से ज्यादा लोगों की जान जा चुकी है।
सुशीला कार्की संभाल रहीं अंतरिम सरकार
ओली के इस्तीफे के बाद नेपाल की बागडोर पूर्व मुख्य न्यायाधीश सुशीला कार्की को सौंपी गई है। अंतरिम नेतृत्व के रूप में उन्होंने जिम्मेदारी संभाल ली है। हालांकि, ओली ने कहा था कि उन्होंने प्रदर्शनकारियों पर कार्रवाई का आदेश नहीं दिया था, लेकिन उनकी सरकार पर हिंसा रोकने में विफल रहने का आरोप लगा। इसी वजह से 8 सितंबर की यह उठी लहर ‘जनरल ज़ेड क्रांति’ कही जा रही है, जिसकी तुलना अब 2006 की ऐतिहासिक क्रांति से की जा रही है।
संसद भंग, मार्च में चुनाव
नेपाल की संसद भंग हो चुकी है और अब मार्च 2026 में चुनाव होने वाले हैं। राजधानी काठमांडू समेत कई शहरों में विरोध-प्रदर्शन जारी हैं। ऐसे हालात में ओली की पब्लिक में वापसी उनकी पार्टी और राष्ट्रीय राजनीति में प्रासंगिक बने रहने का प्रयास मानी जा रही है।