Need to stop inflammatory speech and false statements: भड़काऊ भाषण और गलत बयानबाजी पर रोक लगाने की जरूरत बड़ी शिद्दत से महसूस की जा रही है। सरकार तो इस बारे में बने कानूनों का पालन कराने में विफल रही है।
इधर सुप्रीम कोर्ट ने भी इस बारे में दाखिल की गई जनहित याचिका को खारिज कर दिया। अब सरकार को ही गंभीरतापूर्वक विचार कर कारगर कदम उठाना चाहिए।
अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के नाम पर स्वच्छंदता की छूट किसी को भी नहीं मिलनी चाहिए। अन्यथा इसके खतरनाक दुष्परिणाम सामने आते देर नहीं लगेगी। लम्हों की खता सदियों को भुगतनी पड़ेगी।