NCTE Recruitment Issue : देशभर के स्कूलों में शिक्षकों की कमी अब गंभीर रूप ले चुकी है। एक संसदीय समिति की रिपोर्ट के अनुसार, करीब 10 लाख शिक्षकों के पद लंबे समय से खाली पड़े हैं। समिति ने चेतावनी देते हुए कहा है कि यदि इन रिक्तियों को समय पर नहीं भरा गया तो शिक्षा की गुणवत्ता पर सीधा असर पड़ेगा।
समिति ने अनुशंसा की है कि मार्च 2026 तक सभी रिक्त पदों को भरा जाए और शिक्षकों की नियुक्तियों को संविदा की बजाय नियमित भर्ती से जोड़ा जाए। साथ ही “डिग्री बेचने वाले” निजी शिक्षक प्रशिक्षण कॉलेजों पर कार्रवाई की सख्त जरूरत बताई है, जो शिक्षा संस्थानों के बजाय दुकानों में तब्दील होते जा रहे हैं।
रिपोर्ट में यह भी सामने आया है कि केंद्र सरकार द्वारा संचालित केंद्रीय विद्यालय और नवोदय विद्यालय जैसे प्रतिष्ठित संस्थानों में भी 30 से 50 प्रतिशत(NCTE Recruitment Issue) पद खाली हैं। कई बार की सिफारिशों के बावजूद संविदा शिक्षकों पर निर्भरता लगातार बढ़ती जा रही है।
जून 2025 तक राष्ट्रीय अध्यापक शिक्षा परिषद (NCTE) में भी ग्रुप ए के 54 प्रतिशत, ग्रुप बी के 43 प्रतिशत और ग्रुप सी के 89 प्रतिशत पद रिक्त थे। समिति ने इसे बेहद गंभीर स्थिति बताया है और कहा है कि शिक्षण व्यवस्था पर इसका नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है।
साथ ही, नए चार वर्षीय बी.एड कोर्स, अत्यधिक केंद्रीकृत पाठ्यक्रम डिजाइन और संविदा शिक्षकों की नियुक्ति पर निर्भरता को भी शिक्षा संकट बढ़ाने वाले कारणों(NCTE Recruitment Issue) में शामिल किया गया है।
समिति ने साफ कहा है कि गुणवत्तापूर्ण शिक्षा तभी संभव है जब समय पर स्थायी शिक्षकों की नियुक्ति हो और प्रशिक्षण संस्थानों की सख्त मॉनिटरिंग की जाए।