राजनांदगांव, 19 जून| Naxalite Surrender Chhattisgarh : दशकों तक जंगल की घनी चुप्पियों में विचारधारा का बोझ उठाने वाले जीवन और अगाशा ने अब समाज की मुख्यधारा को अपनाने का फैसला लिया है। माओवादी संगठन में डिविजनल स्तर की जिम्मेदारी संभाल चुके यह दंपत्ति अब शांति, पुनर्वास और नये जीवन की ओर लौट चला है।
शिक्षक से क्रांतिकारी बनने की दास्तान
कभी परवीडीह गांव के सरकारी स्कूल में शिक्षक रहे जीवन उर्फ राम तुलावी (45) ने 2000 के आसपास माओवादी संगठन की राह पकड़ ली थी। हालांकि उसने संगठन में भी ‘शिक्षक’ की भूमिका नहीं छोड़ी। वह मोबाइल पॉलिटिकल स्कूल टीम का हिस्सा (Naxalite Surrender Chhattisgarh)रहा, जहां कैडरों को वैचारिक प्रशिक्षण देता था।
अगाशा: लोककला की रंगमंच से जंगल की परछाइयों तक
जीवन की पत्नी अगाशा उर्फ आरती कोर्राम (38) भी एक समय गांवों में लोककलाओं का प्रदर्शन करती थी। लेकिन सीएनएम (कल्चर एंड न्यूज मूवमेंट) के ज़रिए माओवादी संगठन में शामिल होकर एरिया कमेटी की सदस्य बनी। दोनों की सक्रियता माड़ डिविजन और रावघाट क्षेत्र तक फैली रही। लेकिन अब, लगभग 20 वर्षों के बाद, दोनों ने खुद को पुलिस के हवाले कर एक नये जीवन की शुरुआत की है।
आत्मसमर्पण के पीछे की वजहें
पुलिस प्रशासन के अनुसार, संगठन में भेदभाव, वैचारिक खोखलापन और वरिष्ठ माओवादियों के मारे जाने का भय अब कार्यकर्ताओं को झकझोर रहा (Naxalite Surrender Chhattisgarh)है। यही वजह रही कि जीवन और अगाशा जैसे प्रशिक्षित और विचारधारा से जुड़े कार्यकर्ता भी संगठन को अलविदा कह रहे हैं।
“यह मनोवैज्ञानिक जीत है” – IG अभिषेक शांडिल्य
राजनांदगांव रेंज के पुलिस महानिरीक्षक अभिषेक शांडिल्य ने कहा कि “यह आत्मसमर्पण न केवल संगठन की शक्ति को चोट पहुंचाएगा, बल्कि यह क्षेत्र में स्थायी शांति की दिशा में मजबूत कदम है।” उन्होंने इसे एक ‘मनोवैज्ञानिक जीत’ करार दिया।
पुनर्वास और प्रोत्साहन योजना:
दोनों को तत्काल ₹50,000-₹50,000 नगद सहायता
डिविजनल मेंबर के लिए ₹8 लाख और एरिया मेंबर के लिए ₹5 लाख इनामी राशि
आधार कार्ड, राशन कार्ड, आयुष्मान कार्ड की (Naxalite Surrender Chhattisgarh)सुविधा
प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत घर
कौशल प्रशिक्षण और रोजगार सहायता