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Naxalgarh Abujhmad : 58 गांवों का हुआ सर्वे, आदिवासियों के लिए खुलेंगे तरक्की के रास्ते 

Naxalgarh Abujhmad: Survey of 58 villages will open the way of progress for the tribals

Naxalgarh Abujhmad

नारायणपुर/नवप्रदेश। Naxalgarh Abujhmad : छत्तीसगढ़ के अति नक्सल प्रभावित क्षेत्र अबूझमाड़ की अबूझ पहेली अब जल्दी ही सुलझने वाली है। आजादी से अब तक अबूझमाड़ में कितनी जमीन है, कहां है, कोई रिकॉर्ड नहीं। यहां आदिवासी खेती करते हैं, लेकिन केसीसी न होने से कर्ज नहीं मिलता।

फसल है पर कहां बेचे यह व्यवस्था (Naxalgarh Abujhmad) नहीं है। लेकिन अब हालात बदल रहे हैं। अर्धसैनिक बलों की तैनाती के बाद फोर्स के कैंपों में राशनकार्ड और आधार कार्ड बनाए जा रहे हैं। जवानों की मौजूदगी में सड़कें बन रही है। स्कूल, स्वास्थ्य सहित सुविधाएं गांवों तक पहुंच रही है। अबूझमाड़ के गांवों की सीमा जानने सरकार सर्वे करा रही है। जिला प्रशासन ने अब तक 58 गांवों का सर्वे पूरा किया है। लाल आतंक पर जवान लगाम कस रहे हैं तो योजनाएं भी धीरे-धीरे गांवों तक पहुंच रही है।

सीएम की पहल पर बदल रही तस्वीर

बता दें कि सीएम भूपेश बघेल के निर्देश पर नारायणपुर जिला प्रशासन द्वारा 246 गांवों का मसाहती (ऐसे क्षेत्र जिसकी सीमाएं तय नहीं हुई हो न ही राजस्व सर्वे हुआ है) खसरा और नक्शा तैयार करने का निर्णय लिया है, जिससे पता चल सके कि किसके खेत की सीमा कहां तक है। गांवों की सीमा कहां तक रहेगी। नारायणपुर कलेक्टर ऋतुराज रघुवंशी ने बताया अब तक 58 गांवों का सर्वे हो गया है, जिनके 2500 किसानों को मसाहती खसरा बनाकर दिया गया है। इस सर्वे से राजस्व रिकॉर्ड बनाने में आसानी होगी और सरकारी योजनाओं का लाभ जरूरतमंद तक पहुंचेगा। कलेक्टर ने बताया कि किसानों को केसीसी बनाकर दिया जा रहा है, जिससे अब वे बैंक से लोन ले सकेंगे। पहले जमीन होने के बाद भी खेती के लिए लोन नहीं मिलता था।

5 हजार वर्ग किलोमीटर में बसा है अबूझमाड़

बता दें कि घने जंगलों (Naxalgarh Abujhmad) और ऊंचे पहाड़ों के बीच प्रकृति की गोद में 5 हजार वर्ग किलोमीटर में अबूझमाड़ बसा है। अब तक कहा जाता रहा कि इस इलाके को कोई बूझ नहीं पाया यानि समझ नहीं पाया। यही वजह रही कि आजादी के 75 साल बाद भी यहां सरकारी योजनाएं नहीं पहुंच पाई। छत्तीसगढ़ के सीएम भूपेश बघेल के निर्देश पर अबूझमाड़ का सर्वे किया जा रहा है। मसाहती खसरा मिलने से किसानों का सोसायटी में पंजीयन होगा और वे धान बेच पाएंगे। किसानों के खेत में अब डबरी निर्माण, सिंचाई के लिए सोलर पंप की सुविधा, कृषि एवं उद्यानिकी की योजनाओं का लाभ मिल पायेगा।

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