बीजापुर में सात लाख के इनाम नक्सल दंपति ने किया समर्पण
पति गंगालूर एरिया कमेटी सदस्य एवं पत्नी प्लाटून नंबर 2 की सदस्या थी
नवप्रदेश/बीजापुर। नक्सल (naxal surrender in cg) संगठन द्वारा नक्सल दंपति (naxal couple leave nxalism) को एक दूसरे से दूर करने पर दोनों पति-पत्नी ने संगठन छोडऩे का फैसला कर लिया। शनिवार को इस सात लाख के इनामी नक्सल दंपति ने बीजापुर पुलिस (bijapur police) के समक्ष समर्पण (surrender) कर दिया।
सरेंडर करने वाले नक्सल दंपति (naxal couple leave naxalism) में गंगालूर एरिया कमेटी सदस्य के रूप में सक्रिय 5 लाख का इनामी गोपी मोडिय़ाम उर्फ मंगल पिता स्व पाण्डू मोडिय़ाम (35) तथा प्लाटून नम्बर 02 की सदस्या 02 लाख की इनामी भारती कट्टम उर्फ रामे पति गोपी मोडिय़ाम उम्र (32) शामिल हैं। गोपी मोडिय़ाम चेरकंटी थाना, बीजापुर का रहने वाला है। वहीं भारती रायगुड़ा थाना गोलापल्ली सुकमा की निवासी है। दोनों ने बीजापुर पुलिस (bijapur police) के समक्ष समर्पण (surrender) कर दिया।
दोनों ने खोखली नक्सल (naxal surrender in cg) विचारधारा व प्रताड़ना से तंग आकर शनिवार को सीआरपीएफ के उप महानिरीक्षक कोमल सिंह, पुलिस अधीक्षक बीजापुर कमलोचन कश्यप के समक्ष समर्पण किया। समर्पण करने पर दोनों को उत्साहवर्धन स्वरूप शासन की आत्मसमर्पण एवं पुनर्वास नीति के तहत 10-10 हजार रुपए की राशि प्रदान की गई।
दोनों के संगठन छोड़ने का कारण
दंपति द्वारा पुलिस को बताए मुताबिक, नक्सल संगठन में कार्य करते हुये भारती ने अपने पति गोपी के साथ एक ही एरिया कमेटी में कार्य करने की इच्छा रखी थी, जिसे खारिज कर इन्हें एक दूसरे से अलग कर दिया गया। भारती को भैरमगढ़ एरिया कमेटी में पार्टी मेम्बर के रूप में कार्य सौंपा गया। लेकिन दंपति को संगठन का फैसला रास नहीं आया और दोनों ने इसे अस्वीकार करते हुये नक्सलवाद छोडऩे का फैसला किया।
दोनों के नक्सलवाद छोडऩे की एक वजह यह भी रही कि गोपी को वर्ष 2012 में गंगालूर एरिया कमेटी सचिव पद से हटाकर एसीएस सदस्य बना दिया गया। संगठन के वरिष्ठ नक्सलियों से मतभेद तथा बस्तर क्षेत्र से होने के कारण उसे बार-बार नीचा दिखाकर उसकी हर सलाह को नजर अंदाज किया जा रहा था।
6 माह में मिलती थी पत्नी से मिलने की इजाजत
बकौल गोपी संगठन का सबसे पुराना कार्यकर्ता होने के बावजूद उसे डीव्हीसीएम पद नहींं दिया गया। पार्टी में यह नियम है कि प्रत्येक 3 माह में सदस्यों को उसके परिवार से मिलने दिया जाये किन्तु उसे 6 माह में पत्नी भारती से मिलने की अनुमति दी जाती थी।
इन वारदातों में रहे शामिल
अगस्त 2002 में थाना बेदरे अटैक की घटना। जनवरी 2003 में ग्राम मुरदण्डा और तिमापुर के बीच यात्री बस को रोककर आगजनी। इसमें एक ग्रामीण महिला एवं 1 बच्ची मारी गई थी तथा 04 पुलिस कर्मी शहीद हुये। अगस्त 2003 में थाना गीदम अटैक की घटना में शामिल। फरवरी 2004 में ओडिशा के कोरापुट जिले के पुलिस लाइन, थाना एवं प्रशिक्षण केन्द्र पर एक साथ अटैक कर आम्र्स एम्युनेशन लूट की घटना में भी दंपति शामिल थे।
मार्च 2006 में ग्राम मुरकीनार कैम्प अटैक की घटना को अंजा दिया। इसमें 11 जवान शहीद हुये थे। घटना में नक्सली 49 हथियार भी लूट ले गए थे। दिसम्बर 2006 में ग्राम पामलवाया भूसागुड़ा- कन्हैयागुड़ा के बीच रास्ते में रोड ओपनिंग पार्टी पर घात लगाकर हमला किया था, इसमें 6 पुलिसकर्मी शहीद हो गए थे। शहीद जवानों के हथियार भी लूट ले गए थे। इसके अलावा दंपति अन्य हिंसक वारदातों में भी शामिल रहे, जिनमें कई पुलिसकर्मी शहीद हुए।