महाराष्ट्र के गृह विभाग ने विधि व न्याय विभाग को मंजूरी के लिए भेजा प्रारूप
वर्ष 2005 में छत्तीसगढ़ में बना है विशेष जन सुरक्षा अधिनियम
मुंबई/नवप्रदेश। नक्सल (naxal menace) समस्या के खात्मे के लिए छत्तीसगढ़ की तर्ज पर महाराष्ट्र (maharashtra to enact law on line with chhattisgarh) में भी कानून बनाने पर विचार चल रहा है। महाराष्ट्र गृह विभाग के सूत्रों की मानें तो यह कानून बनना तय है।
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दरअसल कानून का मसौदा तीन वर्ष पूर्व तब की भाजपा-शिवसेना युती सरकार के दौरान ही बना लिया गया था, लेकिन सामाजिक व मानवाधिकार कार्यकर्ताओं के विरोध के कारण बात आगे नहीं बढ़ सकी थी।
अब महाराष्ट्र में सरकार बदलने के बाद फिर से नक्सल (naxal menace) समस्या के खात्मे के लिए छत्तीसगढ़ में वर्ष 2005 में बने विशेष जन सुरक्षा अधिनियम की तर्ज पर कानून बनाने की कवायद तेज हो गई है। फिलहाल इस कानून के प्रारूप को मंजूरी के लिए महाराष्ट्र के विधि व न्याय विभाग को भेजा गया है। मंजूरी मिल जाने के बाद संबंधित विधेयक को महाराष्ट्र विधानमंडल के बजट सत्र में पेश किए जाने की संभावना है।
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गढ़चिरोली के अफसरों ने दी थी सलाह
महाराष्ट्र में महाविकास आघाड़ी सरकार में पहले गृहमंत्री बनाए गए एकनाथ शिंदे ने दिसंबर 2019 में गृहमंत्री रहते छत्तीसगढ़ सीमा से लगे महाराष्ट्र के गढ़चिरोली जिले का दौरा किया था। इस दौरान उन्हें जिले के पुलिस अफसरों ने कहा था कि महाराष्ट्र के मौजूदा कानून के तहत काम कर नक्सल (naxal menace) समस्या को खत्म नहीं किया जा सकता। साथ ही अफसरों ने शिंदे कानून में सुधार का सुझाव दिया था।
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तत्कालीन गृहमंत्री ने मुंबई पहुंचकर अफसरों से की चर्चा
इसके बाद मुंबई पहुंचकर शिंदे ने महाराष्ट्र के शीर्ष पुलिस अफसरों से चर्चा की। इस दौरान छत्तीसगढ़ के विशेष जन सुरक्षा अधिनियम, 2005 पर चर्चा हुई। तब गृहमंत्री का पदभार संभाल रहे शिंदे ने गृह विभाग को छत्तीसगढ़ की तर्ज पर कानून बनाने का आदेश दिया था। जिसके बाद कानून का मसौदा तैयार कर लिया गया। अब महाराष्ट्र के वर्तमान गृहमंत्री व एनसीपी नेता अनिल देशमुख ने इस मसौदे को मंजूरी के लिए विधि व न्याय विभाग के पास भेज दिया है।
बजट सत्र में पेश होने के पूरी उम्मीद
महाराष्ट्र (maharashtra to enact law on line with chhattisgarh) के गृह विभाग के सूत्रों ने नवप्रदेश को बताया कि नक्सल समस्या के खात्मे के लिए छत्तीसगढ़ की तर्ज पर कानून बनाने को लेकर बैठक हो चुकी है। पूरी उम्मीद है कि कानून के मसौदे को मंजूरी मिलने के बाद संबंधित विधेयक विधानमंडल के बजट सत्र में पेश किया जाए। हालांकि इस काूनन का कई बार विरोध हो चुका है।
ऐसा है 2005 में बना छग का कानून
- इस कानून के तहत आने वाले अपराध संज्ञेय व गैरजमानती की श्रेणी में आते हैं।
- यह पुलिस को उस व्यक्ति को हिरासत में लेने के लिए अधिकृत करता है, जिसके आचरण में कानून प्रशासन में बाधा डालने की प्रवृत्ति झलकती है।
- उस व्यक्ति को भी गिरफ्तार किया जा सकता है, जिसके कृत्यों से कानून के उल्लंघन को बढ़ावा मिलता है।
- कानून के तहत मीडिया पर किसी भी प्रकार की गैरकानूनी गतिविधि की रिपोर्ट दिखाना वर्जित है।
- प्रशासन गैरकानूनी गतिविधि के आरोपी किसी व्यक्ति या संगठन की चल, अचल संपत्ति को जब्त कर सकता है।
- अपराध की प्रकृति के आधार पर एक से सात साल तक सजा का प्रावधान।