भामरागढ़/गड़चिरोली/नवप्रदेश। अतिसंवेदनशील नक्सल इलाके (naxal area) की एक गर्भवती महिला (pregnant woman) को प्रसव (delivery) कराने के लिए 28 किमी का पैदल (28 km walk) सफर तय करना पड़ा। यहीं नहीं अस्पताल में प्रस होने के बाद अपने पांच दिन के नवजात को पकड़कर उसे घर पहुंचने के लिए फिर 28 किमी की दूरी पैदल ही तय करनी पड़ी।
मामला छत्तीसगढ़ की सीमा से लगे महाराष्ट्र के गड़चिरोली जिले के भामरागढ़ के तुर्रेमर्का गांव का है। भामरागढ़ नक्सल (naxa area) लिहाज से अतिसंवेदनशील इलाका है।
जिस गांव की महिला रहने वाली है, वहां पहुंचने के लिए अब तक अच्छा रास्ता नहीं बन सका है। स्थानीय लोगों द्वारा जंगल से रास्ता निकालकर अस्पताल तक जाना होता है।
भामरागढ़ के तर्रेमर्का गांव की गर्भवती महिला (pregnant woman) रोशनी 3 जुलाई को 28 किमी के इसी रास्ते से चलकर प्रसव (delivery) के लिए अस्पताल पहुंची। रोशनी ने अस्पताल में एक स्वस्थ बच्ची को जन्म दिया। इसके बाद इसी रास्ते से रोशनी को अपनी पांच दिन की बच्ची को पकड़कर 28 किमी का वापसी का सफर पैदल (28 km walk) ही तय करना पड़ा।