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Naxal Affected Antagarh : आजादी की 75वीं वर्षगांठ से पहले अंतागढ़ के यात्रियों को मिलेगी ‘रेल’ की सौगात

Naxal Affected Antagarh: Before the 75th anniversary of independence, passengers will get the gift of 'Rail'

Naxal Affected Antagarh

अंतागढ़/नवप्रदेश। Naxal Affected Antagarh : अंतागढ़ तक बन चुके रेल लाइन पर अब ट्रेन चलानी की तैयारी है। कांकेर जिले के केंवटी तक चल रही ट्रेन को विस्तार करते हुए अंतागढ़ तक चलाने रेल मंत्रालय से मंजूरी मिल गई है। आजादी की 75वीं वर्षगांठ से 2 दिन पहले यानी 13 अगस्त को यात्रियों को यह सौगात मिलेगी।

राजधानी रायपुर से दुर्ग, बालोद, दल्लीराजहरा होते हुए कांकेर जिले के केवटी तक चल अभी यात्री ट्रेन चल रही है। कांकेर लोकसभा के सांसद मोहन मंडावी ने बताया रेल मंत्रालय से यात्री ट्रेन अंतागढ़ तक चलाने हरी झंडी मिल चुकी है। मंत्रालय की ओर से उन्हें 13 अगस्त को दोपहर 12 बजे निर्धारित स्थान पर ट्रेन को हरी झंडी दिखाने कहा गया है। अंतागढ़ से ट्रेन शुरू होने से वनाचल क्षेत्र के लोगों को बड़ी सुविधाएं मिलेगी। वहीं सड़क मार्ग की अपेक्षा (Naxal Affected Antagarh) किराया भी कम लगेगा।

लोगों को मिलेगी बड़ी सुविधाएं

बता दें कि नक्सल प्रभावित क्षेत्र में रेललाइन विस्तार का काम 2016 से शुरू किया गया है। केवटी से अंतागढ़ तक 17 किलोमीटर पटरी बिछाने के अलावा ट्रेन चलाने ट्रायल पूरा हो चुका है। रायपुर, दुर्ग, बालोद व कांकेर जिले के लिए यह महत्वपूर्ण ट्रेन है। अति नक्सल प्रभावित क्षेत्र में आजादी के 75 साल बाद ट्रेन की सुविधा पहुंच रही है। रेल लाइन का विस्तार रावघाट तक किया जाएगा, जहां से भिलाई इस्पात संयंत्र को लौह अयस्क की आपूर्ति होगी। रावघाट से जगदलपुर तक दूसरे चरण में रेललाइन विस्तार करना है।

जगदलपुर तक होना है रेल लाइन का विस्तार

बता दें कि बस्तर में रावघाट (Naxal Affected Antagarh) से जगदलपुर तक रेल परियोजना का काम कई सालों से अटका पड़ा है। रायपुर से अंतागढ़ तक रेल लाइन बिछाने का काम पहले चरण में पूरा हो गया है। वहीं अंतागढ़ से जगदलपुर तक का काम अटका है। भूमि अधिग्रहण और नक्सल समस्या की वजह से काम आगे नहीं बढ़ पाया है। साल 2022 तक रावघाट से लेकर जगदलपुर तक करीब 141 किमी तक पटरियां बिछनी थीं। रेललाइन काम जल्द शुरू कराने 3 अप्रैल को बस्तर रेल आंदोलन शुरू हुआ था। बस्तर के लोगों ने अंतागढ़ से जगदलपुर तक करीब 170 किमी पैदल मार्च किया था। जिसे सभी वर्गों का समर्थन मिला।

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