Natural Healing : हर साल 23 सितंबर को आयुर्वेद दिवस मनाया जाता है। आयुर्वेद सिर्फ एक चिकित्सा पद्धति नहीं बल्कि जीवन जीने की प्राकृतिक शैली है, जो बीमारियों की जड़ पर काम करती है। आधुनिक लाइफस्टाइल में महिलाओं को पीसीओएस, अनियमित पीरियड्स और हार्मोनल असंतुलन जैसी समस्याएं अक्सर परेशान करती हैं। ऐसे में आयुर्वेदिक उपाय इन चुनौतियों से निपटने का सरल और प्रभावी तरीका हो सकते हैं।
महिलाओं के लिए ज़रूरी आयुर्वेदिक टिप्स
तनाव कम करने के लिए अश्वगंधा
अश्वगंधा कोर्टिसोल लेवल को नियंत्रित करती है और थायरॉइड व एड्रेनल ग्रंथि को हेल्दी बनाए रखने में मदद करती है। तनाव कम होने से रिप्रोडक्टिव हार्मोन (Natural Healing) भी बेहतर ढंग से काम करने लगते हैं।
रिप्रोडक्टिव हेल्थ के लिए शतावरी
शतावरी को महिला स्वास्थ्य की बेस्ट हर्ब माना जाता है। यह एस्ट्रोजन लेवल को संतुलित करने, पीरियड्स को नियमित करने और मेनोपॉज के लक्षण कम करने में उपयोगी है।
योग और प्राणायाम
भुजंगासन (Cobra Pose) और अनुलोम-विलोम जैसी तकनीकें तंत्रिका तंत्र को शांत करती हैं, ब्लड सर्कुलेशन बेहतर करती हैं और हार्मोन को बैलेंस (Natural Healing) करने में सहायक होती हैं।
अभ्यंग यानी ऑयल मसाज
गर्म तिल या नारियल तेल से मालिश तनाव को कम करती है और शरीर को पोषण देती है। यह प्रजनन प्रणाली को भी मजबूत बनाती है।
आयुर्वेदिक आहार
साबुत अनाज, मौसमी फल-सब्ज़ियां, घी और हर्बल टी डाइट का हिस्सा बनाएं। प्रोसेस्ड फूड और ज्यादा तैलीय खाने से परहेज करें। इससे त्रिदोष यानी वात, पित्त, कफ संतुलित रहते हैं।
दालचीनी और सौंफ की चाय
दालचीनी इंसुलिन सेंसिटिविटी सुधारती है और सौंफ पाचन को दुरुस्त करती है। दोनों मिलकर हार्मोनल बैलेंस और पीरियड्स (Natural Healing) के दर्द में राहत देने में मददगार हैं।
पर्याप्त नींद
आयुर्वेद सर्कैडियन रिदम पर जोर देता है। समय पर सोना, सूर्योदय के साथ उठना और भोजन का सही समय रखने से हार्मोनल हेल्थ मजबूत होती है।