National Education Policy : नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति (National Education Policy) के जरिए शिक्षा के क्षेत्र में बड़े बदलाव का जो सपना देखा गया था, अब उसकी असली परख होने जा रही है। केंद्र सरकार का शिक्षा मंत्रालय यह जांचने जा रहा है कि नीति लागू होने के पांच साल बाद इसकी सिफारिशों को किन राज्यों और उच्च शिक्षण संस्थानों ने अपनाया और किन्होंने अब तक इस दिशा में कदम नहीं बढ़ाए। मंत्रालय का मानना है कि इस पड़ताल से यह भी साफ होगा कि शिक्षा सुधारों के लक्ष्य किस हद तक जमीन पर उतरे हैं।
मंत्रालय ने तैयार किया बिंदुवार खाका
शिक्षा मंत्रालय ने नीति के अमल को परखने के लिए बिंदुवार खाका तैयार किया है। इसमें उन सिफारिशों को शामिल किया गया है जिनसे शिक्षा में बड़े सुधार के दावे किए गए थे। इनमें उच्च शिक्षण संस्थानों में मल्टीपल एंट्री और एग्जिट सिस्टम, सभी कोर्सों को क्रेडिट फ्रेमवर्क में लाना, स्किल मैपिंग और भारतीय ज्ञान परंपरा को शिक्षा व्यवस्था में शामिल करना जैसी बातें अहम हैं। मंत्रालय का दावा है कि केंद्रीय सहायता प्राप्त करीब 134 उच्च शिक्षण संस्थानों ने इन बिंदुओं पर अपनी रिपोर्ट दे दी है। बाकी संस्थानों से भी जानकारी ली जा रही है।
तीन महीने में पूरी होगी जांच
शिक्षा मंत्रालय ने स्पष्ट किया है कि केंद्रीय संस्थानों से मिली रिपोर्टों के आधार पर जांच की जा रही है और तीन माह के भीतर यह प्रक्रिया पूरी कर ली जाएगी। यानी पांच साल पहले शुरू हुई नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति (National Education Policy) की उपलब्धियों और कमियों की तस्वीर पहली बार स्पष्ट रूप से सामने आएगी।
राज्यों से भी मांगी गई जानकारी
राज्यों को भी निर्देश दिया गया है कि वे अपने यहां नीति के अमल का ब्योरा दें। इसमें यह शामिल है कि कितने राज्यों ने बालवाटिका या प्री-प्राइमरी की शुरुआत की है, कितने स्कूलों में नई कक्षाएं शुरू हुई हैं और कितने स्कूलों में अभी यह बाकी है। इसके अलावा यह भी देखा जाएगा कि कितने राज्यों ने स्कूलों के लिए तैयार की गई नई पाठ्यपुस्तकों को अपनाया है। इनमें बालवाटिका स्तर के लिए तैयार किया गया “जादुई पिटारा” भी शामिल है।
स्किलिंग पर खास जोर
नीति की एक बड़ी सिफारिश स्किलिंग शिक्षा को स्कूल स्तर पर शुरू करने की है। मंत्रालय अब यह भी देख रहा है कि कितने स्कूलों ने इस दिशा में कदम बढ़ाया है। अधिकारियों का कहना है कि इस सर्वे का मकसद केवल रिपोर्ट तैयार करना नहीं है बल्कि उन राज्यों और संस्थानों की पहचान करना भी है जो अब तक पीछे हैं। इन राज्यों और संस्थानों में एक विशेष अभियान के जरिए नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति (National Education Policy) की सिफारिशों को लागू करवाने पर जोर दिया जाएगा।
इन राज्यों ने नहीं अपनाई नीति
गौरतलब है कि अब तक केरल, तमिलनाडु और बंगाल को छोड़कर सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों ने एनईपी को अपनाया है। मंत्रालय का मानना है कि इस बार की जांच से यह भी पता चलेगा कि किन राज्यों और संस्थानों ने तेज प्रगति की है और किन्हें अतिरिक्त सहायता की जरूरत है। विशेषज्ञों का कहना है कि यह पड़ताल आने वाले वर्षों में शिक्षा व्यवस्था को मजबूत करने और सुधार की गति बढ़ाने में अहम भूमिका निभाएगी।
आगे की रणनीति
नीति लागू होने के पांच साल बाद यह पहली बार है जब केंद्र स्तर पर इस तरह का व्यापक मूल्यांकन किया जा रहा है। मंत्रालय का कहना है कि इस रिपोर्ट के आधार पर न केवल नई रणनीतियां बनाई जाएंगी बल्कि उन क्षेत्रों में संसाधन और सहयोग भी बढ़ाया जाएगा जहां नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति (National Education Policy) का असर अभी तक नहीं पहुंच पाया है।