रायपुर । ‘‘राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020’’ (National Education Policy 2020) राष्ट्रपिता महात्मा गांधी (Father of the Nation Mahatma Gandhi) के सपनों को पूरा करने वाली नीति है। इसमें उनकी सोच समाहित है।
यह संपूर्ण रूप से स्कूल शिक्षा एवं उच्च शिक्षा (School Education & Higher Education) के मानकों को स्थापित करने वाली है, इसके प्रावधान उच्च शिक्षा में गुणवत्ता, स्वायत्ता एवं छात्रों को बेहतर विकल्प प्रदान करते हुए शोध में नवाचार लाने में सहायक होगी।
इसमें मातृभाषा पर प्राथमिक शिक्षा प्रदान करने का प्रावधान रखा गया है, जो सराहनीय कदम है। यह बात राज्यपाल सुश्री अनुसुईया उइके ने आज पंजाब विश्वविद्यालय, चंडीगढ़ द्वारा ‘राष्ट्रीय शिक्षा नीति’ विषय पर आयोजित वेबिनार को संबोधित करते हुए कही।
उन्होंने कहा कि 21वीं सदी में ‘‘राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020’’ विद्यार्थियों को गुणवत्तापूर्ण एवं रोजगारोन्मुखी शिक्षा प्रदान करने और भारत को वैश्विक महाशक्ति तथा आत्मनिर्भर भारत बनने में सहायक होगी। राज्यपाल ने कहा कि शिक्षा देश की प्रगति का आधार है। सभी को शिक्षा का अधिकार एवं शिक्षित समाज का निर्माण हमारी संवैधानिक ही नहीं नैतिक जिम्मेदार भी है।
आजादी के बाद वर्ष 1968 में पहली शिक्षा नीति लागू की गई थी, जिसका दूसरा पड़ाव वर्ष 1986 में आया। नई शिक्षा नीति-2020 के रूप में हम एक ऐसा विजन देश के समक्ष लेकर आये हैं, जो एक नए भारत, शिक्षित एवं आत्मनिर्भर भारत का निर्माण करेगा।
राज्यपाल ने कहा कि डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन ने कहा था, ‘‘शिक्षा से मानव मस्तिष्क का सदुपयोग किया जा सकता है। संपूर्ण विश्व को एक ही इकाई मानकर शिक्षा का प्रबंधन करना चाहिए।’’ यही हमारी नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति का आधार भी है।
उन्होंने कहा कि हर देश, अपनी शिक्षा व्यवस्था को अपने राष्ट्रीय मूल्यों के साथ जोड़ते हुए, अपने राष्ट्रीय लक्ष्य के अनुसार सुधार करते हुए चलता है। भारत की नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति में यह सोच है। यह शिक्षा नीति, 21वीं सदी के नए भारत की नींव तैयार करने वाली है।