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जहां दिया जाता है दहेज में बेटियों को 12 सांपो
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गौरिया समुदाय आज भी करते आ रहा इस पारंपरिक परम्परा का निर्वाह
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कहा जाता है कि बेटियों को आत्मनिर्भर बनाने है इसकी मान्यता
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यहां खिलौनों से नहीं बच्चें खेलते है जहरीले सांपों से आप देखकर रह जाएंगे दंग
कवर्धा। 21वीं सदी के चकाचैंध के बीच आज भी परम्परा और मान्यताएं हमारे समाज में व्याप्त है। इसका जीवंत उदाहरण गौरिया समुदाय Gauria Community जो अपनी परम्परा के अनुसार बेटियों को शादी में 12 सांपों का दहेज देकर सुखमय जीवन जीने का आशीर्वाद देते है। यह रिवाज उनके समुदाय में वर्षो से चला आ रहा है।
जिसका निर्वहन आज भी किया जाता है। एक ओर जहां विवाह के समय बेटी को उपहार देने के लिए लंबी खरीदारी होती है। वहीं पूरा परिवार विवाह की तैयारी को लेकर जुटा रहता है, लेकिन कवर्धा के बोड़ला विकासखंड के ग्राम बांधाटोला से करीब 2 किलोमीटर दूर सपेरों की बस्ती की परंपरा कुछ अलग ही है।
जो बेटियों की विवाह में 12 सांपों का दहेज देते है। शादी से पहले जब कोई पिता अपनी बेटी के लिए अच्छे वर की तलाश करता है तो धन दौलत नहीं, बल्कि जहरीले सांप पूछता है। जिसके पास ज्यादा जहरीले सांप होते हैं, वही अच्छा वर होता है।
गौरिया समुदाय
जिला मुख्याल से करीब 30 किलोमीटर दूर बोड़ला विकासखंड के बांधाटोला गांव से दो किलोमीटर आगे गौरिया समुदाय Gauria Community की बस्ती है। आसपास के क्षेत्रवासी इसे सपेरों की बस्ती कहती है, क्योंकि यहां हर घर में जहरीले सांपों का बसेरा है। बड़े-बूढ़े ही नहीं यहां के बच्चे भी खतरनाक सांपों से खेलते हैं।
सांपों के साथ खेल-खेल में बड़े होने के बाद जब बेटी के विवाह का समय आता है तो यही सांप दहेज में दिए जाते हैं। गौरिया समुदाय Gauria Community में बेटी के विवाह पर पिता अपने दामाद को 12 सांप दहेज में देता है, ताकि उसका दामाद अपनी आजीविका चला सके।
दहेज में सांपों का उपहार
इस समुदाय मे सांपों का उपहार ही दहेज है। पुरखों से चली आ रही इस परंपरा के बारे में बताया गया है कि यह प्रथा सदियों से चली आ रही है।
रोजगार का साधन
मुख्य सड़क से करीब दो किलोमीटर पगडंडी से होते हुए इन सपेरों की बस्ती तक पहुंचा जा सकता है। चंद घरों की इस बस्ती में हर घर में अनेक प्रजाति की सांप देखने को मिल जाएंगे। यहां के बच्चे बचपन से खिलौनों की जगह सांप के साथ खेलना शुरू कर देते हैं और देखते ही देखते सांप ही इनके खास साथी बन जाते हैं। बच्चों को बचपन से ही सांप पकडऩा के गुर सिखाए जाते हैं।
नाग पंचमी
बस्ती में रहने वाले लोगों ने बताया कि पहले वे अमरकंटक मार्ग के कोटा परिक्षेत्र के जंगल में रहते थे। वहां इनका डेरा था, लेकिन अब पिछले कई साल से यहां निवासरत हैं। उन्होंने बताया कि दो दिन पहले ही समुदाय के लोग रोजी रोटी के लिए निकल गए। पिटारे में सांप लेकर सभी परिवार अलग-अलग क्षेत्र में गए हैं, जहां नाग पंचमी को सांप का प्रदर्शन कर कुछ पैसे कमा सके।