नई दिल्ली, नवप्रदेश। दिल्ली का वो खौफनाक मर्डर और सुसाइड। जिसनें सबको चौंका कर रख दिया। पहले मां को मारा फिर खुद भी आत्महत्या कर (Murder And Suicide In Delhi) ली। आत्महत्या करने वाले क्षितिज ने खुद 77 पेज का सुसाइड नोट छोड़ा। जिसके कुछ बिंदु यहां पढ़िए…
वो लिखता है कि शुक्रवार है आज. मां की लाश को देखा नहीं जा रहा. उसने अपनी मां के चेहरे को गंगाजल से धोया है. उनके पास बैठकर भगवत गीता का 18वां अध्याय पढ़ा है. वह पूरी भगवत गीता नहीं पढ़ (Murder And Suicide In Delhi) सका. उसने भगवत गीता को मां के सीने पर रख दिया है. अब बारी थी उसके सुसाइड करने की. पहले उसने पिस्टल खरीदने की कोशिश की. फिर इलेक्ट्रिक कटर का विचार आया है. वो बाजार गया. दो दुकानदारों से इलेक्ट्रिक कटर मांगा. दोनों ने नहीं दिए. पता नहीं क्यों वो उससे अजीब सवाल करने लगे. रात को वो घर लौटा और मां की लाश के पास बैठकर खूब रोया. पापा होते तो क्या होता?
सुसाइड नोट में वो हर बात लिखता जा रहा था. उसने आगे लिखा कि कमरे में बदबू नहीं रुक रही. इससे उसकी भी तबीयत बिगड़ने लगी है. उसने लकड़ी की पेंसिल के बुरादे को जलाया है. धूपबत्ती जलाई है. घर में एक जायफल रखा था, उसे भी जलाया (Murder And Suicide In Delhi) है. सारा डियो भी छिड़क दिया है.
वो मास्क लगाकर सुसाइड नोट पूरा करेगा. आज रविवार है. इस समय दोपहर के दो बज रहे हैं. अब तक तीन दिन से प्रॉपर्टी डीलर फ्लोर किराए पर दिखाने के लिए तीन बार किराएदारों के साथ आ चुका है. लेकिन आज हर हालत में वो नोट पूरा कर लेगा.
संडे को वो काफी देर तक लिखता रहा क्योंकि वो सुसाइड नोट पूरा करना चाहता था. उसने आगे लिखा है कि आज इतवार है, मां को सत्संग जाना है. मां की सहेली बार-बार फोन कर रही है. पहले मां के फोन पर, अब मेरे फोन पर घंटी बज रही है. उसने फोन उठाया. मां की सहेली पूछ रही हैं मिथलेश फोन नहीं उठा रही हैं, कहां हैं? उसने कह दिया कि मां तो मर चुकी हैं,
उसने चार दिन पहले ही मार दिया, अब वह मरने की तैयारी कर रहा है. यह सब देखना बहुत डरावना है. पापा के जाने के बाद मां के जीजा ने पिता की तरह उनकी देखभाल की. इसलिए वह घोषणा करता है कि उसके मरने के बाद उसकी बाइक उनके नाम होगी. उसकी इच्छा है कि मां का अंतिम संस्कार उसकी मौसी करें.
क्षितिज अपनी मां के बारे में बताते हुए आगे लिखता है कि उसकी अच्छी परवरिश के लिए मां ने सिलाई भी की. उसकी मां कहती थी कुछ छोटे बच्चों को ट्यूशन पढ़ाना शुरू कर दे. वह सुनकर डर गया था. वो दसवीं में था तो उसके पिता की मौत हो गई. वह अपने माता-पिता के यहां 14 साल बाद जन्मा था. वो उनका इकलौता बेटा था.
दिल्ली यूनिवर्सिटी के एसओएल में एडमिशन लिया था लेकिन किस्मत धोखा दे गई. दो बार विफल हुआ. डिप्रेशन रहता है. वह पांच रात तक जगा रहा है. उसे नींद नहीं आती. कई बार वह बेहोश सा पड़ा रहता है. बीमारियां उसके अंदर भरती जा रही हैं.
मां और पिता का जिक्र करते हुए एक जगह क्षितिज लिखता है कि उसकी मां कई बार उसे टोकती थीं. वह हाई बीपी से परेशान रहती हैं. उसके पापा बहुत बहादुर थे. उसकी मां बताया करती थी कि जब वह छोटा था, पापा उसे गोद में लेकर अस्पताल गए. वहां बंदर उसे गोद से खींच कर ले जाना चाहते थे लेकिन उसके पिता ने उसे कस कर पकड़े रखा और उन बंदरों को भगा दिया.