–Mucormycosis: ब्लैक फंगस पर दवाओं पर इतना टैक्स क्यों?
-जीवन बचाने के लिए दवाओं का प्रयोग – उच्च न्यायालय
-इस पर एक से दो दिन में फैसला- केंद्र
नई दिल्ली। Mucormycosis: कोरोना की दूसरी लहर का असर धीरे-धीरे कम होता जा रहा है। देश में नए कोरोना संक्रमितों की संख्या में गिरावट आ रही है। हालांकि, ब्लैक फंगस के देशव्यापी प्रकोप ने चिंता को और बढ़ा दिया है। कोरोना हृदय रोग से ठीक हो चुके कई लोगों में इस बीमारी का पता चला है।
इसके लिए जरूरी दवाओं की पृष्ठभूमि में दिल्ली हाई कोर्ट में एक याचिका दायर की गई है। ब्लैक फंगस (Mucormycosis) पर दवाइयों पर लगाए जा रहे टैक्स को लेकर इस बार हाईकोर्ट ने केंद्र से सीधा सवाल किया है। देश में ब्लैक फंगस के हजारों मामले हैं। राजस्थान और तेलंगाना समेत अन्य राज्यों ने इस बीमारी को महामारी घोषित कर दिया है।
केंद्र और सरकार ने भी याचिका पर संज्ञान लेते हुए राज्यों को नए दिशा-निर्देश जारी किए हैं। इस बीमारी की दवा आयात करनी पड़ती है। उच्च आयात शुल्क के कारण भी कीमत बढ़ रही है। इसी पृष्ठभूमि में दिल्ली हाईकोर्ट में याचिका दायर की गई थी। इस बार कोर्ट ने केंद्र से स्पष्ट शब्दों में उच्च आयात शुल्क के बारे में पूछा।
जीवन बचाने के लिए दवाओं का प्रयोग
यदि वर्तमान में देश में आयात की जा रही दवाएं जीवन बचाने में उपयोगी हैं, तो सरकार उच्च आयात शुल्क क्यों लगा रही है, देश में इन दवाओं की भारी कमी है। इसलिए वर्तमान में केंद्र सरकार को इन दवाओं पर सीमा शुल्क और आयात शुल्क हटाना चाहिए, अदालत ने कहा। कोर्ट ने इस मामले में केंद्र को जवाब देने का निर्देश दिया है।
एक से दो दिन में इस पर निर्णय लें
इस संबंध में सीबीडीटी और वित्त मंत्रालय से पूछताछ की जाएगी। इस मामले पर एक या दो दिन में फैसला लिया जाएगा। केंद्र ने दिल्ली उच्च न्यायालय को बताया। शीर्ष अदालत ने यह भी निर्देश दिया कि ब्लैक फंगस के लिए दवाएं उपलब्ध कराई जाएं।