Monsoon: अतिथि तुम कब जाओगे की तर्ज पर लोग कहने लगे हैं कि मानसून तुम कब जाओगे? अब और कितना भिगाओगे? और कितने पुल, पुलिया और इमारतें ढहाओगे।
मानसून की इस बार जरूरत से ज्यादा मेहरबानी लोगों के लिए परेशानी का सबब बन गई है। आषाढ़, सावन और भादो में जमकर बरसा। अब भादो भी चला चली की बेला में हैं लेकिन मानसून है कि वापस जाने का नाम ही नहीं ले रहा है।
ढीठ मेहमान की तरह डेरा डाले बैठा है। मानसून ने रक्षाबंधन से लेकर गणेशोत्सव तक सभी त्योहार मना लिए। लगता है दीपावली मनाकर ही वापस जाएगा।