-मंकीपॉक्स के खतरे को देखते हुए डब्ल्यूएचओ ने इसे वैश्विक स्वास्थ्य आपातकाल घोषित किया
-भारत का स्वास्थ्य मंत्रालय भी सतर्क है, लेकिन देश के लोगों को इसकी ज्यादा चिंता नहीं
नई दिल्ली। monkeypox: पिछले कुछ दिनों में दुनिया के विभिन्न देशों में पाए गए मंकीपॉक्स के मामलों ने विभिन्न देशों की सरकारों और विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) की चिंता बढ़ा दी है। मंकीपॉक्स के खतरे को देखते हुए डब्ल्यूएचओ ने इसे वैश्विक स्वास्थ्य आपातकाल घोषित कर दिया है। इसे लेकर भारत का स्वास्थ्य मंत्रालय भी सतर्क है, लेकिन देश के लोगों को इसकी ज्यादा चिंता नहीं है।
लोकल सर्कल्स की ओर से एक सर्वे कराया गया। इसमें यह जानने की कोशिश की गई कि भारत में लोग मंकीपॉक्स, कोविड और अन्य वायरल बीमारियों को लेकर कितने गंभीर हैं। इस सर्वे में लोकल सर्कल्स ने देश के 342 जिलों में जाकर दस हजार से ज्यादा लोगों से बात की। इनमें से केवल 6 प्रतिशत ने कहा कि वे मंकीपॉक्स से चिंतित हैं। इन लोगों में सबसे ज्यादा 29 प्रतिशत ने वायरल बीमारियों को लेकर चिंता जताई।
ये था सर्वे का नतीजा
- 13 फीसदी लोग कोरोना से चिंतित
- 6 प्रतिशत लोग मंकीपॉक्स को लेकर चिंतित हैं
- 29 प्रतिशत को किसी बात की चिंता नहीं है
- 29 प्रतिशत अन्य वायरल संक्रमणों से डरते हैं
- 23 प्रतिशत ने कहा कि वे नहीं बता सकते
दुनिया में मंकीपॉक्स (monkeypox) के मामले लगातार बढ़ रहे हैं। यह भारत के लिए चिंता का विषय है क्योंकि पड़ोसी देश पाकिस्तान के बाद पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर (पीओके) में मंकीपॉक्स का मामला सामने आया है। इस तरह पाकिस्तान और पीओके में इस बीमारी के कुल चार मामले सामने आ चुके हैं।
केंद्र ने अलर्ट जारी किया है
बढ़ते खतरों के बीच केंद्र सरकार ने अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डों और सभी राज्यों के लिए अलर्ट जारी किया है। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय (monkeypox) ने सभी हवाई अड्डों के साथ-साथ बांग्लादेश और पाकिस्तान की सीमाओं के पास के अधिकारियों को ‘मंकीपॉक्स’ के कारण अंतरराष्ट्रीय यात्रियों के लिए सतर्क रहने को कहा है।
मंत्रालय ने दिल्ली में तीन केंद्रीय अस्पतालों (राम मनोहर लोहिया अस्पताल, सफदरजंग अस्पताल और लेडी हार्डिंग अस्पताल) को किसी भी मंकीपॉक्स रोगी के अलगाव, प्रबंधन और उपचार के लिए नोडल केंद्र के रूप में नामित किया है।