Monkey Menace : जिंदल कंपनी की पतरापाली स्थित रिहायशी कॉलोनी में पिछले कई दिनों से बंदरों के उत्पात ने लोगों की परेशानी बढ़ा दी थी। आए दिन बंदर घरों में घुसकर सामान नुकसान कर रहे थे और कई बार लोगों पर हमला भी कर रहे थे। लगातार शिकायतों के बाद बिलासपुर के कानन पेंडारी से विशेष टीम यहां पहुंची और पांच बंदरों को पकड़कर सुरक्षित जंगल में छोड़ा। यह कार्रवाई वन विभाग रायगढ़ के अनुरोध पर की गई। (Monkey Menace)
कानन पेंडारी चिड़ियाघर के डॉक्टर पवन कुमार चंदन ने बताया कि शुक्रवार को टीम को रायगढ़ भेजा गया था। टीम ने पांच बंदरों को पकड़ने के अलावा कई अन्य बंदरों को खदेड़कर जंगल की ओर भगाया। वहीं रायगढ़ वन परिक्षेत्र के रेंजर हेमलाल जायसवाल ने भी इस कार्रवाई की पुष्टि की और कहा कि शिकायतों के बाद त्वरित कदम उठाया गया है।
रामझरना जंगल से कॉलोनी तक
जानकारी के अनुसार ये बंदर रामझरना क्षेत्र के जंगलों से आबादी वाले इलाकों की तरफ आए हैं। रामझरना के जंगल में हजारों की संख्या में बंदर रहते हैं और भोजन की कमी के चलते वे लगातार रिहायशी इलाकों की ओर बढ़ रहे हैं। यही कारण है कि जिंदल कॉलोनी जैसे इलाके इन दिनों (Monkey Menace) का शिकार हो रहे हैं।
मेडिकल कॉलेज परिसर में भी उत्पात
यह समस्या केवल कॉलोनी तक सीमित नहीं है। रायगढ़ शहर के गुलाब गार्डन और गजमार पहाड़ के आसपास बड़ी संख्या में बंदरों का डेरा है। पिछले कुछ सालों से यह झुंड शहर के अंदरूनी हिस्सों में आकर उत्पात मचा रहा है। मेडिकल कॉलेज परिसर, गर्ल्स हॉस्टल, टीवी टावर और पंजरी प्लांट इलाके में आए दिन बंदरों का आतंक देखा जा रहा है। जुलाई में मेडिकल कॉलेज के दो जूनियर डॉक्टरों पर बंदरों ने हमला किया था। डॉक्टरों ने इसकी शिकायत प्रशासन से की थी लेकिन समस्या अब भी बनी हुई है। (Monkey Menace)
क्यों बढ़ रही है समस्या?
स्थानीय लोगों का कहना है कि जंगल में पर्याप्त भोजन न मिलने के कारण बंदरों का झुंड शहर का रुख कर रहा है। खुले में पड़ा कचरा, फलों और अनाज की उपलब्धता इनके आकर्षण का कारण बन रही है। विशेषज्ञों के अनुसार यह समस्या लगातार गंभीर होती जा रही है और समय रहते ठोस कदम उठाना जरूरी है।
वन विभाग की अपील
वन विभाग का कहना है कि बंदरों को भोजन न दें और घरों का कचरा खुले में न फेंके। ऐसा करने से बंदर बार-बार रिहायशी क्षेत्रों की ओर लौटते हैं। फिलहाल पकड़े गए बंदरों को जंगल में छोड़ा गया है, लेकिन लोगों को भी सावधानी बरतने की जरूरत है। विभाग का मानना है कि शहर और गांवों में जागरूकता अभियान चलाकर ही इस (Monkey Menace) पर काबू पाया जा सकता है।