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मोदी-शाह को क्लीन चिट का विरोध करने वाले आयुक्त की राय हुई खारिज

नई दिल्ली । चुनाव आचार संहिता के उल्लंघन के मामलों में चुनाव आयोग द्वारा पीएम मोदी और अमित शाह को क्लीन चिट मिलने से नाराज चुनाव आयुक्त अशोक लावासा की उस मांग को चुनाव आयोग ने खारिज कर दिया है, जिसमें लवासा ने आयोग के सदस्यों की असहमति या अल्पमत को भी सार्वजनिक करने की मांग की थी।
बता दें कि चुनाव आयोग ने अशोक लावासा की इस मांग के मुद्दे पर बैठक की थी और इस बैठक में यह फैसला किया गया कि असहमति को रिकॉर्ड में रखा जाएगा, लेकिन उसे फैसले के साथ सार्वजनिक नहीं किया जाएगा। वहीं चुनाव आचार संहिता के उल्लंघन के मामलों में चुनाव आयोग ने पीएम मोदी और अमित शाह को क्लीन चिट दे दी थी। अशोक लावासा ने क्लीन चिट दिए जाने वाले 5 मामलों में अपनी आपत्ति जतायी थी और पीएम मोदी और अमित शाह को क्लीन चिट दिए जाने का विरोध किया था।
मुख्य चुनाव आयुक्त सुनील अरोड़ा और चुनाव आयुक्त सुशील चंद्रा, पीएम मोदी और अमित शाह को क्लीन चिट देने के पक्ष में थे, इसलिए बहुमत के आधार पर अशोक लवासा के विरोध को दरकिनार करते हुए चुनाव आयोग ने प्रधानमंत्री को क्लीन चिट दे दी थी। ऐसे में अशोक लवासा ने बीती 16 मई को मांग की कि चुनाव आयोग की बैठकों में किसी सदस्य की असहमति या अल्पमत को भी सार्वजनिक किया जाए। इस पर चुनाव आयोग ने मंगलवार को बैठक कर अशोक लवासा की इस मांग को खारिज कर दिया। चुनाव आयोग ने बताया कि बैठक में चर्चा के बाद यह फैसला किया गया है कि आयोग की बैठक में सभी सदस्यों की राय को रिकॉर्ड में रखा जाएगा,लेकिन इसे सार्वजनिक फैसले में शामिल नहीं किया जाएगा। अपने इस फैसले के पीछे आयोग ने तर्क दिया कि चुनाव आचार संहिता का उल्लंघन कोई न्यायिक मामला नहीं है, ऐसे में इसे सार्वजनिक करने की जरुरत नहीं है और यह सिर्फ फाइलों में रहेगा। आयोग ने ये भी बताया कि आरटीआई एक्ट के तहत लोग फाइलों में दर्ज राय के बारे में जानकारी ले सकते हैं।

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