नयी दिल्ली। देश में आर्थिक और अन्य समस्याओं का सामना कर रहे अधिकांश किसान नयी मोदी सरकार से अपनी फसल की उचित मूल्य मिलने की आस लगाये बैठें हैं। किसानों की अपेक्षा सरकार से अपने उत्पादों के बाजार में उचित मूल्य मिलने को लेकर है। कृषि लागत घटाने और सिंचाई संसाधन बढ़ाने में उनकी कम दिलचस्पी है। किसान फसल ऋण व्यवस्था और प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना में सुधार चाहते हैं।
किसान नेटवर्क ऐप ने हाल ही में इस संबंध में एक सर्वेक्षण किया है जिसमें यह खुलासा हुआ है। इस सर्वेक्षण में कृषकों से पहली मोदी सरकार की योजनाओं और नयी सरकार से उनकी अपेक्षाओं के बारे में पूछा गया था। इस सर्वेक्षण में कुल मिलाकर 4300 कृषक शामिल हुये। इसमें भाग लेने वाले ज़्यादातर किसान पंजाब, हरियाणा, उत्तरप्रदेश जैसे कृषि प्रधान राज्यों के हैं।
इसमें शामिल किसानों में से 52.6 प्रतिशत अपनी फसल की उचित कीमत दिलाये जाने पर जोर दिया है जबकि 17.1 प्रतिशत किसानों ने सिंचाई संसाधनों में बढोतरी किये जाने की जरूरत बतायी। करीब 10 प्रतिशत किसानों ने फसलों के पैदावार बढ़ाने के लिए अच्छे बीज, खाद और कीटनाशक की उपलब्धता सुनिश्चित किये जाने पर जोर दिया। 8.7 प्रतिशत किसानों ने कृषि ऋण और फसल बीमा योजना में सुधार किये जाने की आवश्यकता बतायी जबकि मात्र 8.2 प्रतिशत ने कृषि लागत में कमी लाने के उपाय किये जाने की वकालत की।
मोदी सरकार के पहले कार्यकाल में कृषि क्षेत्र के लिए किये गये कार्यों के संबंध में पूछे जाने पर इसमें शामिल किसानों में से मात्र 20 फीसदी ने ही 10 में से 10 अंक दिये जबकि 30.6 प्रतिशत ने सरकार को 8 से 10 अंक दिये। इसमें से 26.7 प्रतिशत किसानों ने सरकार को 5 से 7 अंक दिये जबकि 36.22 प्रतिशत ने शून्य से चार अंक दिये।
पिछली सरकार की योजनाओं को लेकर पूछे गये सवालों में से नीम कोटेड यूरिया को आवश्यक बनाये जाने का 42.3 प्रतिशत किसान ने समर्थन किया। हर वर्ष छह हजार रुपये दिये जाने वाली प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना को 39.3 प्रतिशत कृषकों ने बेहतर बताया जबकि 35 प्रतिशत ने प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना की सराहना की। करीब 29 प्रतिशत किसानों ने कृषि सिंचाई योजना का पक्ष लिया तो 22.1 प्रतिशत ने ऑनलाइन मंडी ई नाम को बेहतर बताया।