-डीजल के मूल्य में प्रति लीटर 30 रुपये की वृद्धि किसानों के लागत मूल्य को बढ़ाने वाली
–paddy support price: धान के समर्थन मूल्य में प्रति क्विंटल 72 रुपये की वृद्धि ऊंट के मुंह में जीरा-रवींद्र चौबे
रायपुर। paddy support price: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की केंद्र में पदस्थ सरकार द्वारा धान के समर्थन मूल्य में प्रति क्विंटल 72 रुपये की वृद्धि ऊंट के मुंह में जीरा है। केंद्र सरकार द्वारा जानबूझकर किसानों को परेशान किया जा रहा है। केंद्र सरकार ने जिस प्रकार से खाद एवं बीज आदि के मूल्यों में वृद्धि की है।
वह किसानों के लागत मूल्य को निकालने में भी सक्षम नहीं है। केंद्र सरकार द्वारा किसानों द्वारा खेत जुताई के दौरान 10 घंटे डीजल का उपयोग करने एवं कतारबद्ध बोनी में खेती को करने में भी हो रही कठिनाई को उपेक्षित किया गया है। उक्त जानकारी राजीव भवन में आयोजित पत्रकारवार्ता में प्रदेश सरकार के कृषि मंत्री रवींद्र चौबे ने दी।
पत्रकारवार्ता में कांग्रेस के वरिष्ठ नेता धनेंद्र साहू ने कहा कि आज की स्थिति में मुख्यमंत्री भूपेश बघेल द्वारा राजीव गांधी किसान न्याय योजना के तहत जो राशि किसानों को प्रदाय की जा रही है उसमें भी केंद्र सरकार को आपत्ति है। बार-बार केंद्रीय पुल में धान खरीदी से इंकार करना केंद्र सरकार की नियत को प्रकट करता है।
चौबे ने पत्रकारवार्ता में बताया कि केंद्र कीसरकार ने खऱीफ़ फ़सलों के लिए वर्ष 2021-22 के न्यूनतम समर्थन मूल्यों की घोषणा कर दी है समर्थन मूल्यों में वृद्धि की जो घोषणा की गई है, वह इतनी कम है कि उसे ऊंट के मुंह में जीरा कहें तो ग़लत नहीं होगा भाजपा के संकल्प पत्र में 2014 और 2019 दोनों में कहा गया था कि पार्टी वर्ष 2022 तक किसानों की आय दोगुनी करेगी।
स्वामिनाथन कमेटी की रिपोर्ट लागू करने का वादा किया गया था। लेकिन सच यह है कि स्वामिनाथन कमेटी की रिपोर्ट लागू करने में किसान के साथ ठगी कर ग़लत फ़ार्मूला लगा लिया गया और कहा गया कि रिपोर्ट लागू हो गई और समर्थन मूल्यों में साल दर साल की जा रही बढ़ोत्तरी इतनी कम है कि किसान की आय दोगुनी होने की संभावना ख़त्म हो गई है। वर्ष 2022 तक के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य की घोषणा हो चुकी है।
धान की आय से ज़्यादा ख़र्च डीज़ल का
नरेंद्र मोदी सरकार ने न्यूनतम समर्थन मूल्य में वृद्धि की है वह इतनी कम है कि किसान पिछले साल की तुलना में घाटे में ही रहेगा। पिछले एक वर्ष में डीज़ल के दामों में जो वृद्धि हुई है उसकी वजह से खेती करना बहुत महंगा हो गया है।
अभी इसमें मज़दूरी की बढ़ी हुई क़ीमत, खाद के दामों में वृद्धि अलग से होगी। उदाहरण के तौर पर धान के समर्थन मूल्य में 72 रुपये प्रति क्विंटल की वृद्धि की है यदि एक एकड़ में 15 क्विंटल की औसत फसल मान लें तो किसानों की आय में प्रति एकड़ 1080 की बढ़ोतरी होगी।
अब अगर डीज़ल के दामों में पिछले एक साल में हुई बढ़ोत्तरी को देख लें तो सिर्फ डीज़ल खर्च एक साल में 1200 रुपये बढ़ गया है। आज सरकार कह रही है कि धान के उत्पादन में 1292 रुपये का खर्च आता है जबकि पहले 1410 प्रति क्विंटल लागत स्वीकार किया गया था।
पत्रकारवार्ता में प्रदेश कांग्रेस कमेठी के उपाध्यक्ष गिरीश देवांगन, चंद्रशेखर शुक्ला, कृषक कल्याण परिषद के सुरेंद्र शर्मा, प्रवक्ता धनंजय ठाकुर, अमित श्रीवास्तव, राजीव घनश्याम तिवारी, संचार प्रमुख शैलेष नितिन त्रिवेदी आदि उपस्थित थे।