दन्तेवाड़ा। विधायक MLA का निजी सचिव बनकर उनके लेटर पेड का दुरूपयोग करने वाले दंतेवाड़ा के डॉक्टर रोशन मिश्रा Roshan Mishra की सभी डिग्रियां फर्जी fake degree साबित होने के बावजूद न केवल पद पर बना हुआ है बल्कि विधायक चंद्रदेव राय का निजी सचिव बनने का दावां भी कर रहा है।
इस आशय की एक खबर नवप्रदेश ने एक सप्ताह पूर्व ही प्रकाशित की थी। जिसके आधार पर कलेक्टर दंतेवाड़ा ने उक्त डॉक्टर के दस्तावेजों की जांच का निर्देश दिया था।
हालांकि इसके बाद भी डॉक्टर रोशन मिश्रा न केवल बने हुए है बल्कि उनके खिलाफ शिकायत करने वालों को धमका भी रहे है।
यहा तक कि पुलिस पर दबाव बनाकर उन्होंने शिकायतकर्ता के खिलाफ एफआईआर FIR भी दर्ज करवा दी है। उक्त डॉक्टर के खिलाफ शिकायतों की प्रति नवप्रदेश #Navpradesh के पास मौजूद है।
गौैरतलब है कि दंतेवाड़ा के प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र जावंगा में पदस्थ उक्त डाक्टर रोशन मिश्रा फर्जी डिग्री fake degree के सहारे एक साल तक नौकरी करता रहा, इसकी भनक स्वास्थ्य विभाग को कभी लग ही नहीं सकी।
रायपुर निवासी अर्पित जैन की शिकायत के बाद प्रशासन हरकत में आया और इस मामले की जांच डिप्टी कलेक्टर प्रकाश कुमार भारद्वाज से करायी गयी। इस जांच में चौंकाने वाले तथ्य सामने आये।
जांच में पाया गया कि रोशन मिश्रा ने डाक्टर की नौकरी पाने के लिये जितने दस्तावेजों का इस्तेमाल किया वो सारे फर्जी निकले। अब प्रशासन रोशन मिश्रा के खिलाफ एफआईआर FIR दर्ज कराने की तैयारी कर रहा है।
प्राप्त जानकारी के अनुसार फर्जी डाक्टर रोशन मिश्रा ने गीदम के जावंगा प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में बतौर डॉक्टर 9 अक्टूबर 2017 को ज्वाईन किया। इसके बाद ये यहां 18 अक्टूबर 2018 तक नौकरी करता रहा। इसके बाद से वो बिना सूचना के ही चला गया।
नौकरी पाने के लिये इसने मप्र के नेताजी सुभाष चंद्र बोस मेडिकल कालेज की फर्जी डिग्री पेश की। जिसका रजिस्ट्रेशन नंबर 9026 है। इतना ही मप्र मेडिकल काउंसिल का फर्जी सर्टिफिकेट भी बनवा लिया।
जांवगा में नौकरी पाने के लिये इसने एमपीएम अस्पताल जगदलपुर का अनुभव प्रमाण पत्र भी पेश किया। साल 2011 में यहां पांच माह नौकरी करना बताया। जांच में ये भी फर्जी निकला।
इसके अलावा और भी फर्जी डिग्रियां fake degree इसने नौकरी पाने के लिये इस्तेमाल की। रानी दुर्गावती विश्वविद्यालय जबलपुर से बेचलर आफ मेडिसिन एडं बेचलर आफ सर्जरी की फर्जी डिग्री हासिल कर ली।
दंतेवाड़ा जिला प्रशासन द्वारा इस फर्जी डॉक्टर को हर माह डीएमएफ मद से एक लाख दस हजार रूपये बतौर तनख्वाह दिया जाता था।