नई दिल्ली, नवप्रदेश। नवीन और नवीकरणीय ऊर्जामंत्रालय (एमएनआरई), भारत सरकार ने 2 नवंबर, 2022 को राष्ट्रीय जैवऊर्जा कार्यक्रम अधिसूचित किया है।
एमएनआरई ने वित्त वर्ष 2021-22 से 2025-26 की अवधि के लिए राष्ट्रीय जैवऊर्जा कार्यक्रम को जारी रखा है। इस कार्यक्रम को दो चरणों में लागू करने की सिफारिश की गई है। कार्यक्रम के पहले चरण को 858 करोड़ रुपये के बजट परिव्यय के साथ मंजूरी दी गई है।
राष्ट्रीय जैवऊर्जा कार्यक्रम में निम्नलिखित उप-योजनाएं शामिल होंगी :
I. अपशिष्ट से ऊर्जा कार्यक्रम (शहरी, औद्योगिक और कृषि अपशिष्टों/अवशेषों से ऊर्जा कार्यक्रम) द्वारा बड़े बायोगैस, बायोसीएनजी और विद्युत संयंत्रों (एमएसडब्ल्यू से विद्युत परियोजनाओं को छोड़कर) की स्थापना में सहायता प्रदान करना।
II. विद्युत उत्पादन और गैर-खोई आधारित विद्युत उत्पादन परियोजनाओं में उपयोग के लिए पेलेट्स और ब्रिकेट्स की स्थापना में सहायता प्रदान करने के लिए बायोमास कार्यक्रम (उद्योगों में ब्रिकेट और छर्रों के निर्माण और बायोमास (गैर-खोई) आधारित सह उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए योजना)।
III. ग्रामीण क्षेत्रों में परिवार और मध्यम आकार के बायोगैस की स्थापना में सहायता प्रदान करने के लिए बायोगैस कार्यक्रम।
इस कार्यक्रम के दिशानिर्देश https://mnre.gov.in/ पर उपलब्ध हैं।
ऊर्जा की प्राप्ति के लिए देश में बड़ी मात्रा में उपलब्ध सरप्लस बायोमास, मवेशियों का गोबर, औद्योगिक और शहरी जैवअपशिष्ट का उपयोग करने के लिए, एमएनआरई 1980 के दशक से ही देश में जैवऊर्जा को बढ़ावा दे रहा है।
एमएनआरई द्वारा प्रदान की गई एक प्रमुख सहायता बायोगैस, बायोसीएनजी, शहरी, औद्योगिक और कृषि अपशिष्ट/अवशेषों जैसी जैवऊर्जा परियोजनाओं की स्थापना के लिए केन्द्रीय वित्तीय सहायता उपलब्ध कराना है ताकि उनकी पूंजीगत लागत/ऋण पर ब्याज को कम किया जा सके और विद्युत व्यवहार्यता बढ़ाई जा सके।