MiG-21 Retirement : भारतीय वायुसेना का गौरव और पहला सुपरसोनिक लड़ाकू विमान MiG-21 आज, शुक्रवार 26 सितम्बर को आधिकारिक रूप से रिटायर हो जाएगा। छह दशक से अधिक समय तक देश की सीमाओं की रक्षा करने वाला यह विमान अब इतिहास का हिस्सा बन जाएगा। चंडीगढ़ में आयोजित विदाई समारोह में वायुसेना प्रमुख एयरचीफ मार्शल अमर प्रीत सिंह स्वयं मिग-21 के ‘बादल फॉर्मेशन’ को फ्लाई करेंगे।
कौन लेगा मिग-21 की जगह?
मिग-21 की विदाई के बाद भारतीय वायुसेना में स्वदेशी लड़ाकू विमान तेजस (MiG-21 Retirement) उसकी जगह लेगा। तेजस पहले से ही नंबर 45 स्क्वाड्रन ‘फ्लाइंग डैगर्स’ और नंबर 18 स्क्वाड्रन ‘फ्लाइंग बुलेट्स’ में तैनात है। अब जल्द ही तीसरा स्क्वाड्रन ‘कोबरा’ भी शामिल किया जाएगा, जो पश्चिमी मोर्चे पर तैनात होगा।
राजस्थान में तैनात होगा कोबरा स्क्वाड्रन
‘कोबरा स्क्वाड्रन’ राजस्थान स्थित एयरबेस से ऑपरेट (MiG-21 Retirement) करेगा। इसका मकसद पश्चिमी सीमा पर वायुसेना की ताकत को और ज्यादा मजबूत करना है। यह तैनाती भविष्य की किसी भी चुनौती से निपटने के लिए बेहद अहम मानी जा रही है।
जल्द लॉन्च होगा तेजस Mk1A
हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (HAL) अगले महीने नासिक उत्पादन केंद्र से पहला तेजस Mk1A विमान लॉन्च करेगा। यह तेजस का उन्नत संस्करण है, जिसमें अत्याधुनिक रडार, इलेक्ट्रॉनिक वॉरफेयर सिस्टम और और भी तेज़ लड़ाकू क्षमताएं जोड़ी गई हैं। Mk1A वर्जन भारतीय वायुसेना के आधुनिकीकरण और आत्मनिर्भरता की दिशा में एक बड़ा कदम साबित होगा।
मिग-21 का गौरवशाली इतिहास
मिग-21 को रूस ने 1950 के दशक में डिजाइन किया था और भारत ने 1963 में इसे अपनी वायुसेना (MiG-21 Retirement) में शामिल किया। इसकी सबसे बड़ी ताकत रही इसकी रफ्तार – यह ध्वनि की गति से भी तेज, यानी Mach 2 की स्पीड तक उड़ान भर सकता है। मिग-21 ने 1971 की जंग से लेकर कारगिल तक बेहतरीन प्रदर्शन किया। यहां तक कि 2019 में इसने पाकिस्तान के F-16 को भी ढेर कर भारत की ताकत साबित की।