रायपुर/नवप्रदेश। Mid Day Meal : मिड-डे मील में मरी हुई छिपकलियों से कीड़े-मकोड़े मिलना आए दिन खबरों की सुर्खियां होती हैं, लेकिन अब ऐसा नहीं होगा। अब बच्चों के बीच बांटी जाने वाली प्रत्येक खाद्य सामग्री की पैकिंग से पहले और बाद में फोटो खींची जाएगी। इतना ही नहीं खाद्य सामग्रियों की क्वालिटी परीक्षण भी किया जाएगा, जिसके बाद उसे बांटा जाएगा।
राज्य के कक्षा पहली से 8वीं तक के बच्चों को मध्यान भोजन दिया जाएगा। ये भोजन उन विद्यार्थियों को दिया जाएगा जिसका नाम शासकीय शाला, अनुदान प्राप्त अशासकीय शाला अथवा मदरसा-मकतबा में दर्ज होगा।
कुकिंग कास्ट से मिलेगी दाल-तेल
मध्यान भोजन (Mid Day Meal) को खाद्य सुरक्षा भत्ता के रूप में बच्चों को 38 दिनों का सूखा चावल एवं कुकिंग कास्ट के पैसे से दाल, तेल, सूखी सब्जी इत्यादि वितरित होगी। क्वालिटी के लिए सामग्रियों की पैकिंग के पूर्व और पैकिंग के बाद के फोटोग्राफ लिए जाएंगे। सामग्री के ब्रांड से संबंधित फोटोग्राफ और सामग्री नमूनार्थ एक माह तक रखी जाएगी। किसी प्रकार की शिकायत होने पर गुणवत्ता की जांच होगी। दोषियों पर कड़ी कार्रवाई भी होगी।
खाद्य सुरक्षा भत्ता के रूप में घर-घर पहुंच रहा है सूखा राशन
स्कूल शिक्षा मंत्री डॉ. प्रेमसाय सिंह टेकाम ने बताया कि राज्य सरकार के निर्णय के अनुसार कोरोना के चलते 16 जून से 31 जुलाई तक शालाओं के बंद रहने के 38 शालेय दिवसों का भी पूर्व की तरह मध्यान्ह भोजन (Mid Day Meal) का सूखा राशन वितरण किया जा रहा है। स्कूली बच्चों को खाद्य सुरक्षा भत्ता के रूप में सूखा राशन स्कूल में अथवा घर-घर पहुंचाकर देने के लिए डीईओ को कहा गया है।
38 दिन के लिए देंगे तीन किलो 800 ग्राम चावल
प्राइमरी स्कूलों में 38 दिनों के लिए प्रति छात्र चावल 3 किलो 800 ग्राम, दाल 760 ग्राम, अचार 238 ग्राम, सोयाबड़ी 380 ग्राम, तेल 190 ग्राम और नमक 238 ग्राम दिया जाना है। मिडिल स्कूलों में 38 दिनों के लिए प्रति छात्र चावल 5 किलो 700 ग्राम, दाल एक किलो एक किलो 140 ग्राम, अचार 380 ग्राम, सोयाबड़ी 570 ग्राम, तेल 285 ग्राम और नमक 380 ग्राम मिलेगा। स्कूलों के लिए चावल पूर्व की तरह ही राशन दुकानों से मिलेगा।
गुणवत्ता और मात्रा सुनिश्चित करने जिला स्तर पर कार्य योजना
डीपीआई डॉ. कमलप्रीत सिंह ने डीईओ से कहा है कि सूखा राशन वितरण में बच्चों को चावल, दाल एवं तेल की मात्रा भारत सरकार द्वारा निर्धारित मात्रा से कम नहीं होनी चाहिए। बच्चों को दी जाने वाली सामग्रियों को अलग-अलग सील बंद पैकेट बनाया जा रहा है। खाद्य सामग्रियों की सील बंद पैकेट प्रत्येक विद्यार्थियों को सभी सामग्रियों को मिलाकर एक बड़ा पैकेट बनाकर बांटा जाए। वितरित की जाने वाली खाद्य सामग्रियां उच्च गुणवत्ता की होनी चाहिए। सामग्रियों की गुणवत्ता एवं मात्रा सुनिश्चित करने जिला स्तर पर कार्ययोजना बनाई जाए।