रायपुर/नवप्रदेश। MGNREGA Employees : 65 दिनों से चल रहे मनरेगा के मजदूर आज अनोखे अंदाज में आंदोलन करते दिखे। दरअसल, मनरेगा कर्मचारियों ने पंडाल के भीतर कुछ लाशों के पुतले रखी थीं और उसके चारो ओर लड़कियां दहाड़े मार मार कर रो रही थीं। कर्मचारियों ने इस तरह मातम मनाकर विरोध जताया।
इसके जरिए सरकार को यह संदेश देना चाहते थे कि इनकी जिंदगियों में बेरोजगारी का दर्द और मातम के सिवा कुछ नहीं। पंडाल में आने वालों से कर्मचारियों ने कहा कि अब हमारे पास इसी तरह मरने के सिवाए कुछ नहीं, इसलिए मातम मनाकर विरोध जता रहे हैं।
लाशों के पुतले रखकर किया विरोध
मनरेगा कर्मचारियों नियमित (MGNREGA Employees) किए जाने की मांग को लेकर नियमित आंदोलन कर रहे है। उनका यह आंदोलन करीब दो महीने से अधिक समय से चल रहा है। उनका कहना है कि हमने कई बार विभाग से नियमितीकरण को लेकर बात की लेकिन हमारी किसी ने नहीं सुनी, इसलिए हमें यह कदम उठाना पड़ा।
3000 मनरेगा कर्मचारियों को किया बर्खास्त
छत्तीसगढ़ मनरेगा कर्मचारी महासंघ के प्रांत अध्यक्ष चंद्रशेखर अग्निवंशी ने कहा कि कुछ दिनों पहले हमारे 3000 साथियों को बर्खास्त कर दिया गया। इसके बाद 21 सहायक परियोजना अधिकारियों की नौकरी खत्म कर दी गई। यह रवैया ठीक नहीं है । इस सांकेतिक विरोध प्रदर्शन में राधेश्याम कुर्रे, सूरज सिंह जैसे पदाधिकारी शामिल हुए।
12 हजार सौंप चुके हैं इस्तीफा
तीन दिन पहले ही 21 लोगों को बर्खास्त किए जाने की वजह से 12 हजार कर्मचारियों का सामूहिक इस्तीफा दिया गया। लोगों के इस्तीफे का भारी-भरकम बंडल अधिकारियों को सौंप दिया गया। मनरेगा कर्मचारियों ने कहा कि अब ये आंदोलन तब तक चलेगा जब तक हमारी मांग पूरी नहीं हो जाती। कर्मचारियों ने कहा कि हमें तो नियमित किए जाने का वादा किया गया था।
ये है मांग
रायपुर में पिछले दो महीनों से मनरेगा कर्मियों का आंदोलन चल रहा है।
मनरेगा कर्मियों का दावा है कि छ.ग. में 3000 से अधिक मनरेगा कर्मचारियों की सेवा समाप्ति की गई है।
दूसरे प्रदेशों जैसे बिहार, मध्यप्रदेश, उत्तराखंड, ओडिशा, हिमाचल प्रदेश में मनरेगा के कर्मचारियों के नियमितिकरण सहित अगल-अलग फायदेमंद नीतियां हैं।
कांग्रेस के चुनावी जन घोषणा पत्र (MGNREGA Employees) के मुताबिक समस्त मनरेगा कर्मियों का नियमितीकरण किया जाए।
नियमितीकरण की प्रक्रिया पूर्ण होने तक ग्राम रोजगार सहायकों का वेतनमान निर्धारण करते मनरेगा कर्मियों पर सिविल सेवा नियम 1966 के साथ पंचायत कर्मी नियमों के तहत काम लिया जाए।