हैदराबाद/नवप्रदेश। Master Degree in Jail : त्रेता युग में ऐसा कोई नहीं होगा जिसने महर्षि वाल्मीकि का नाम न सुना हो। एक दिन उनके जीवन में ऐसा बदलाव आया कि उन्होंने लूटपाट छोड़ भक्ति के मार्ग पर चल पड़े और आगे चलकर रामायण की रचना की।
जब हथियार वाले हाथ ने पकड़ लिया कलम
आज कलियुग में भी बिरले ही ऐसी किस्से-कहानियां सुनने (Master Degree in Jail) को मिलती रहती हैं। दरअसल, हम आज बात कर रहे है हैदराबाद के पीबीवी गणेश की। जी हां उन्होंने महर्षि वाल्मीकि की तरह रामायण तो नहीं लिखी, लेकिन उनकी तरह गणेश के जीवन में भी परिवर्तन जरूर लेकर आए हैं। 54 साल के पीबीवी गणेश ने जेल में रहते हुए अपनी तीसरी मास्टर डिग्री हाल ही में पूरी की है। शनिवार को हैदराबाद में डॉ. बीआर आंबेडकर मुक्त विश्वविद्यालय के 24वें दीक्षांत समारोह में उन्हें उनकी तीसरी मास्टर डिग्री दी गई।
इसी के साथ उनके अतीत के किताब के पन्ने भी खुलने लगे। एक समय था जब वह माओवादी थे और उनके हाथों में कलम की जगह हथियार हुआ करते थे। वह गुरिल्ला युद्ध में शामिल थे और ओंगोल में एक सांसद की हत्या के आरोप में उन्हें पकड़ा गया था। इसके बाद उन्हें आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई। जेल में आने के बाद उनकी जिंदगी में बड़ा बदलाव आया और जिन हाथों में वो हथियार पकड़ते थे, उनमें उन्होंने कलम पकड़ ली। माओवाद से अब तक का उनका सफर दूसरे कैदियों के लिए मिसाल बन गया है।
1995 में की थी सांसद की हत्या
शनिवार को जब पीबीवी गणेश को यह डिग्री दी जा रही थी, तब वह चेरलापल्ली जेल के उन 14 कैदियों में शामिल थे, जिन्होंने अपनी मास्टर डिग्री हासिल की। गणेश को 1995 में तत्कालीन ओंगोल सांसद मगुंटा सुब्बारामी रेड्डी की हत्या के लिए आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई थी। उन्होंने वहां रहकर मनोविज्ञान में एमएससी की उपाधि ली, इसके बाद समाजशास्त्र और राजनीति विज्ञान में मास्टर डिग्री हासिल की।
दीक्षांत समारोह में अपनी पत्नी (Master Degree in Jail) के साथ शामिल हुए गणेश ने कहा, ‘मैं बस अपने परिवार के साथ रहना चाहता हूं। अगर मैं इस साल मुक्त हुआ, तो मैं राजनीति विज्ञान या मनोविज्ञान में डॉक्टरेट की पढ़ाई करूंगा। यही मेरा सपना है। जब गणेश ने सांसद की हत्या की, तब वह सिर्फ 27 साल के थे और फिजिक्स में ग्रेजुएट थे।