नई दिल्ली/नवप्रदेश। Manish Sisodia : दिल्ली शराब नीति केस में कोर्ट ने ED को मनीष सिसोदिया की 7 दिन (17 मार्च तक) की रिमांड दे दी है। हालांकि एजेंसी ने दिल्ली के पूर्व डिप्टी सीएम की 10 दिन की रिमांड मांगी थी। वहीं, कोर्ट सिसोदिया की जमानत याचिका पर अब 21 मार्च को दोपहर 2 बजे सुनवाई करेगी।
बता दें कि ED ने मनी लॉन्ड्रिंग मामले में सिसोदिया को गुरुवार देर शाम गिरफ्तार किया था। आज उन्हें कोर्ट में पेश किया गया। यहां एजेंसी ने सिसोदिया की 10 दिन की रिमांड मांगी है। ED सिसोदिया को लेकर दोपहर 2 बजे दिल्ली की राउज एवेन्यू कोर्ट पहुंची थी। इसके बाद स्पेशल जज एमके नागपाल ने पहले ED की रिमांड पर सुनवाई शुरू की।
कोर्ट में ED का पक्ष एडवोकेट जोहेब हुसैन ने रखा। उन्होंने दावा किया कि शराब नीति तैयार करने के पीछे साजिश थी। इसके नियम बदलकर कुछ खास लोगों को 6% की जगह 12% लाभ पहुंचाया गया। सिसोदिया ने इससे जुड़े डिजिटल सबूत भी मिटा दिए।
एजेंसी ने कहा कि शराब नीति केस में 7 और लोगों को नोटिस भेजा है ताकि उन्हें सिसोदिया के आमने-सामने बैठाकर पूछताछ की जा सके। इसके लिए हम सिसोदिया की 10 दिन की रिमांड मांग रहे हैं।
कोर्ट में कस्टडी के लिए ED की दलीलें
ED के वकील जोहैब हुसैन ने कहा, ‘सिसोदिया के असिस्टेंट विजय नायर इस पूरी साजिश को कोऑर्डिनेट कर रहा था। इस घोटाले में सरकारी तंत्र, बिचौलिये और कई अन्य लोग शामिल हैं। ये साजिश नायर, सिसोदिया, तेलंगाना के चीफ मिनिस्टर के चंद्रशेखर राव की बेटी के कविता और कई दूसरे लोगों ने मिलकर रची। इस मामले में 219 करोड़ रुपए के मनी ट्रेल का पता चला है।’
उन्होंने कहा, ‘दक्षिण के ग्रुप ने आप नेताओं को 100 करोड़ की घूस दी। एक ग्रुप बनाया गया ताकि दिल्ली में 30% शराब कारोबार को चलाया जा सके। दस्तावेज दिखाते हैं कि नायर ने सिसोदिया के प्रतिनिधि के तौर पर कविता से मुलाकात की। नायर कविता को यह बताना चाहता था कि सिसोदिया किस तरह से लिकर पॉलिसी को प्रभावित कर सकते हैं।’
जोहेब ने कहा, ‘एक साल के समय में 14 फोन इस्तेमाल किए गए और बदले गए। इन्हें तोड़ भी दिया गया। सिसोदिया ने उन फोन का इस्तेमाल किया, जिन्हें दूसरों ने खरीदा था। सिम कार्ड भी सिसोदिया के नाम पर नहीं था ताकि बाद में वो अपने बचाव में इस बात को इस्तेमाल कर सकें।’
उन्होंने दलील दी, ‘एक फोन भी सिसोदिया के नाम पर नहीं थे। एक सिम कार्ड देवेंदर शर्मा के नाम पर था। यह दिखाता है कि इस केस में बड़े पैमाने पर सबूतों को तबाह किया गया। आप खुद देखिए कि हम सिसोदिया की कस्टडी क्यों चाहते हैं। यह शुरुआत से ही टालमटोल कर रहे हैं।’
सिसोदिया के वकील की दलीलें
मनीष सिसोदिया के वकील दयान कृष्णन ने कहा, ‘ED कह रहा है कि यह पॉलिसी गलत है। एक चुनी हुई सरकार ने यह पॉलिसी बनाई है। यह कई परतों से गुजरती है। ये सरकार के पास जाती है, अफसरों के पास जाती है। फाइनेंस और लॉ सेक्रेटरी के पास जाती है। ये पॉलिसी उप-राज्यपाल के पास जाती है।’
उन्होंने कहा, ‘यह शराब नीति उप-राज्यपाल के पास गई। LG यानी केंद्र सरकार। उन्होंने 3 बातें पूछी थीं, लेकिन इनमें से एक भी प्रॉफिट मार्जिन या एलिजिबिलिटी से जुड़ी हुई नहीं थी। ED जल्दबाजी के बारे में बात कर रही है। मैं जल्दबाजी के ऐसे बहुत सारे उदाहरण दे सकता हूं। नोटबंदी की गई और इसे सुप्रीम कोर्ट ने भी संवैधानिक करार दिया।’
कृष्णन बोले, ‘ED कह रही है कि विजय नायर सिसोदिया की ओर से काम कर रहे थे। ED अभी तक ऐसा कुछ भी नहीं ढूंढ पाई है, जिसमें सिसोदिया को एक भी रुपया भेजा गया हो। अभी तक वो ऐसा क्यों नहीं कर पाए हैं? दस्तावेज देख लीजिए। सब जगह ED कह रही है, हमने सुना, हमने सुना।’
सिसोदिया के (Manish Sisodia) दूसरे वकील मोहित माथुर ने कहा- इन दिनों ये फैशन बन गया है कि जांच एजेंसी अपने अधिकार समझकर लोगों को अरेस्ट कर रही हैं। समय आ गया है, कोर्ट को ऐसे मामलों में सख्ती से पेश आना चाहिए।