कोलकाता। पश्चिम बंगाल उपचुनाव (Bengal by-election) में सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस की जीत से ममता बनर्जी को काफी राहत मिली है। मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने 84,709 वोट हासिल किए, उन्होंने भाजपा की प्रियंका टिबरेवाल को निर्णायक रूप से हराया, जिन्होंने भवानीपुर उपचुनाव में 26,350 वोट हासिल किए। वहीं मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी के श्रीजीब बिस्वास केवल 4,201 वोट हासिल करने में सफल रहे।
भाजपा ने स्वीकारी हार
भारतीय जनता पार्टी की बंगाल इकाई के प्रमुख सुकांत मजूमदार ने कहा, “हमें यह समझने की जरूरत है कि बड़ी संख्या में लोग वोट (Bengal by-election) देने नहीं आ सके या उन्हें वोट देने नहीं आने दिया गया। लेकिन एक बात हमें करनी चाहिए, ध्यान रहे कि मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने सोचा था कि वह भवानीपुर से बीजेपी का सफाया कर देंगी, लेकिन ऐसा नहीं हुआ।”
उन्होंने कहा, “हम उन लोगों के समर्थन से अभिभूत हैं, जिन्होंने सभी बाधाओं के बावजूद बाहर आकर हमें वोट दिया है। यह हमें भविष्य में एक नई भावना के साथ लड़ने के लिए प्रेरित करेगा। अक्टूबर में चार उपचुनाव हैं और हमें उम्मीद है कि हम इन चुनावों में बेहतर करेंगे।” पश्चिम बंगाल भाजपा ने एक बयान में कहा, “पश्चिम बंगाल में तीन विधानसभा उपचुनावों के नतीजे हमारी उम्मीद के मुताबिक नहीं हैं लेकिन हम इसे शालीनता से स्वीकार करते हैं।”
कांग्रेस को बड़ा नुकसान
ममता की जीत के साथ कांग्रेस को पश्चिम बंगाल (Bengal by-election) में सबसे बड़ा नुकसान हुआ है, जिसने औपचारिक रूप से भाजपा को विपक्ष की जगह दे दी है। फभाजपा अब राज्य में दूसरे नंबर पर है। यह उत्तर प्रदेश और बिहार के बाद पश्चिम बंगाल को तीसरा बड़ा राज्य बनाता है, जहां कांग्रेस की मौजूदगी खत्म हो रही है।
कांग्रेस, जिसने भवानीपुर से चुनाव नहीं लड़ा था, 2016 के चुनावों के बाद विधानसभा में 44 विधायकों के साथ दूसरी सबसे बड़ी पार्टी थी, लेकिन अब उसके पास राज्य से सिर्फ एक लोकसभा और एक राज्यसभा सांसद नहीं है। पार्टी को वस्तुत: नए सिरे से शुरुआत करनी होगी, क्योंकि अधिक से अधिक नेता तृणमूल की ओर बढ़ रहे हैं।
उधर, उत्तर प्रदेश में पार्टी के पास केवल एक लोकसभा सांसद है और 2017 में चुने गए 7 विधायकों में से दो ने पार्टी छोड़ दी है। बिहार में भी कांग्रेस के पास एक लोकसभा सीट है और 19 विधायक हैं।इन राज्यों में 162 लोकसभा सीटों (यूपी 80, पश्चिम बंगाल 42 और बिहार 40) के लिए कांग्रेस की स्थिति अस्थिर है।
इन सभी राज्यों में, क्षेत्रीय दलों – यूपी में सपा/बसपा, बिहार में राजद और अब पश्चिम बंगाल में तृणमूल ने कांग्रेस को परिधि में धकेल दिया है। विशेषज्ञों का कहना है कि पार्टी अगर 2024 के आम चुनावों में अपनी छाप छोड़ना चाहती है तो उसे अपनी रणनीति में बदलाव करना होगा।