जगदलपुर/नवप्रदेश। बस्तर संभाग में मलेरिया मुक्त बस्तर अभियान (Malaria Free Bastar Campaign) का असर दिखने लगा है। संभाग में सितंबर-2019 की तुलना में सितंबर-2020 में मलेरिया के मामलों में 65.53 प्रतिशत की कमी आई है। पिछले सितंबर में संभाग के सातों जिलों में जहां मलेरिया के कुल 4230 प्रकरण मिले थे, वहीं इस साल सितंबर में कुल 1458 मामले ही सामने आए हैं।
मलेरिया मुक्त बस्तर अभियान (Malaria Free Bastar Campaign) के अंतर्गत इस वर्ष जनवरी-फरवरी में इसका पहला चरण और जून-जुलाई में दूसरा चरण संचालित किया गया था। पहले चरण में 14 लाख छह हजार लोगों की मलेरिया जांच कर पॉजिटिव पाए गए 64 हजार 646 लोगों का पूर्ण उपचार किया गया था। वहीं दूसरे चरण में कोरोना संक्रमण से बचने की चुनौतियों के बीच स्वास्थ्य विभाग की टीम ने 23 लाख 75 हजार लोगों की जांच कर मलेरिया पीडि़त 30 हजार 076 लोगों को तत्काल इलाज उपलब्ध कराया।
मलेरिया मुक्त बस्तर अभियान के असर से पिछले सितंबर की तुलना में इस सितंबर में मलेरिया के मामलों में कांकेर जिले में 75.2 प्रतिशत, कोंडागांव में 73.1 प्रतिशत, सुकमा में 71.9 प्रतिशत, बीजापुर में 71.3 प्रतिशत, नारायणपुर में 57 प्रतिशत, बस्तर में 54.7 प्रतिशत और दंतेवाड़ा में 54 प्रतिशत की कमी आई है।
कांकेर जिले में पिछले सितम्बर में जहां मलेरिया (Malaria Free Bastar Campaign) के 491 प्रकरण थे, वहीं इस साल केवल 122 मामले सामने आए हैं। कोंडागांव में पिछले वर्ष के 294 मामलों की तुलना में इस साल 79, सुकमा में 480 की तुलना में 135, बीजापुर में 1314 की तुलना में 377, नारायणपुर में 328 की तुलना में 141, बस्तर में 594 की तुलना में 269 तथा दंतेवाड़ा में पिछले वर्ष के 729 मामलों की तुलना में इस वर्ष 335 मामले मलेरिया के दर्ज किए गए हैं।
मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की अपील पर पूरे बस्तर संभाग में मलेरिया मुक्त बस्तर अभियान (Malaria Free Bastar Campaign) को जन अभियान के रूप में विस्तारित किया गया है। अभियान के पहले चरण के दौरान दंतेवाड़ा प्रवास पर पहुंचे मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने सार्वजनिक सभा में बस्तर को मलेरियामुक्त करने लोगों को शपथ दिलाई थी।
स्वास्थ्य मंत्री टी.एस. सिंहदेव भी वरिष्ठ विभागीय अधिकारियों और बस्तर के सभी जिलों के कलेक्टरों की बैठक लेकर अभियान की शत-प्रतिशत सफलता के लिए लगातार इसकी मॉनिटरिंग कर आवश्यक दिशा-निर्देश देते रहे हैं। मलेरिया मुक्त बस्तर अभियान (Malaria Free Bastar Campaign) के तहत दोनों चरणों में स्वास्थ्य विभाग की टीम द्वारा घने जंगलों और पहाड़ों से घिरे बस्तर के पहुंचविहीन, दुर्गम एवं दूरस्थ इलाकों में घर-घर पहुंचकर प्रत्येक व्यक्ति की मलेरिया जांच की गई है।
मलेरिया पॉजिटिव पाए जाने पर लोगों का तत्काल इलाज भी शुरू किया गया था। पूर्ण इलाज सुनिश्चित करने के लिए स्वास्थ्य कार्यकर्ता मलेरिया पॉजिटिव (Malaria Free Bastar Campaign) पाए गए लोगों को पहली खुराक अपने सामने ही खिला रहे थे। स्थानीय मितानिनों द्वारा पीडि़तों के फॉलो-अप खुराक सेवन की निगरानी करवाई गई थी। पीडि़तों द्वारा दवा की पूर्ण खुराक लिए जाने के बाद खाली रैपर भी संग्रहित किए गए।
अभियान के दौरान बस्तर संभाग में मलेरिया पॉजिटिव (Malaria Free Bastar Campaign) पाए गए लोगों में बड़ी संख्या में ऐसे लोग थे जिनमें मलेरिया के कोई लक्षण दिखाई नहीं दे रहे थे। अलाक्षणिक मलेरिया एनीमिया और कुपोषण का कारण बनता हैं। पहले चरण में मलेरिया पॉजिटिव पाए गए 57 प्रतिशत और दूसरे चरण में 60 प्रतिशत लोग बिना लक्षण वाले थे। मलेरिया मुक्त बस्तर अभियान मलेरिया के साथ ही एनीमिया और कुपोषण दूर करने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है।