एनसीईआरटी द्वारा कक्षा सात के लिए जारी की गई नई सामाजिक विज्ञान की पुस्तक में महमूद गजनवी के हमलों और अत्याचारों (Mahmud Ghaznavi Invasions History) पर विस्तृत अध्याय शामिल किया गया है। पहले की किताब में गजनवी केवल एक पैराग्राफ में सीमित था, लेकिन नई पुस्तक में 6 पेज का अध्याय ‘‘गजनवी आक्रमण’’ शीर्षक से जोड़ा गया है।
इसमें बताया गया है कि महमूद गजनवी ने भारत पर 17 बार हमला किया और प्रत्येक बार अपार संपत्ति लूटकर वापस लौटा। अध्याय में स्पष्ट वर्णन है कि उसके आक्रमणों में हिंदुओं, बौद्धों, जैनियों ही नहीं बल्कि इस्लाम के प्रतिद्वंद्वी संप्रदायों पर भी प्रहार किए गए।
किताब के अनुसार महमूद गजनवी ने अपनी सेनाओं के साथ मथुरा, सोमनाथ सहित अनेक समृद्ध नगरों पर भीषण हमले किए। उसने इन शहरों की विशाल संपत्ति एवं मंदिरों को निशाना बनाया और अल्पसंख्यक समुदायों तथा धार्मिक स्थलों पर भारी अत्याचार (Mahmud Ghaznavi Invasions History) किए। अध्याय में लिखा गया है कि गजनवी की सेनाएँ तेज गति से आगे बढ़ती थीं और उसके घुड़सवार तीरंदाज़ निर्णायक भूमिका निभाते थे।
इस बीच, राजद सांसद मनोज कुमार झा ने टिप्पणी की कि एनसीईआरटी में गजनवी का महिमामंडन नहीं हुआ, बल्कि इतिहासकारों ने उसका चित्रण ऐतिहासिक संदर्भ में रखा है। उन्होंने कहा कि इतिहास को संपूर्णता में पढ़ा जाना चाहिए, न कि निगेटिव या पॉज़िटिव नजरिए से।
नई पुस्तक “Exploring Societies: India and Beyond” में महमूद के आक्रमणों पर विस्तृत डिज़ाइनयुक्त अध्याय जोड़ा गया है। इसमें बताया गया है कि गजनवी ने जयपाल को हराया और 1008 ईस्वी में लड़ी गई भीषण लड़ाई के बाद जयपाल के पुत्र को भी पराजित किया। अध्याय कहता है— “उसके हमलों में सिर्फ लूट नहीं बल्कि हजारों नागरिकों का वध, महिलाओं और बच्चों को बंदी बनाना तथा उन्हें मध्य एशिया के गुलाम बाज़ारों में बेचने तक की घटनाएँ शामिल थीं।”
किताब में यह भी उल्लेख है कि महमूद गजनवी को उसके जीवनीकारों ने शक्तिशाली, क्रूर व निर्दयी सेनापति के रूप में दर्शाया है, जो न केवल ‘काफ़िरों’ को मारने या दास बनाकर ले जाने बल्कि प्रतिद्वंद्वी इस्लामी समूहों पर भी प्रहार करने में संकोच नहीं करता था। अपने सभी 17 हमलों में वह हर बार सोने, रत्नों और विशाल खजाने के साथ गजनी लौटा
मथुरा व सोमनाथ सबसे निर्मम लूट का विवरण
किताब में मथुरा को अपार धन से भरा नगर बताया गया है, जहाँ एक भव्य मंदिर स्थित था। गजनवी ने मंदिर तोड़ा, खजाना लूटा और कन्नौज की ओर बढ़ते हुए कई अन्य मंदिर भी नष्ट कर दिए। वर्षों बाद उसने गुजरात और सोमनाथ की ओर रुख किया, যেখানে कड़ा प्रतिरोध मिलने के बावजूद वह विजय प्राप्त कर सका और प्रसिद्ध सोमनाथ मंदिर को ध्वस्त कर उसकी संपत्ति अपने साथ ले गया।

