नि:शक्त महिला से धोखे से रजिस्ट्री कराने वाले के खिलाफ हुई कड़ी कार्यवाही
कोरबा/नवप्रदेश। Mahila Aayog : राज्य में महिला आयोग जनसुनवाई के माध्यम से महिलाओं और पीड़ितों को न्याय दिलाने के लिए लगातार ‘जनसुनवाई’ अभियान चला रहा है। इस दौरान महिलाओं से जुड़े कई मुद्दे आयोग के सामने आ रहे हैं, जिनका शायद समाधान नहीं होता अगर यह अभियान नहीं चलाया जाता, क्योंकि हर मुद्दा कोर्ट-अदालत तक नहीं जा सकता। इसका बड़ा फायदा उन पीड़ितों को मिल रहा है, जो आर्थिक रूप से बेहद कमजोर हैं।
जनसुनवाई का यह अभियान कोरबा के जिला पंचायत सभाकक्ष आयोजित किया गया जहां। राज्य महिला आयोग की अध्यक्ष डॉ. किरणमयी नायक ने सभाकक्ष में 25 प्रकरणों की सुनवाई की। इनमें से 22 प्रकरणों का निराकरण किया गया। डॉ. किरणमयी नायक ने महिलाओं को सुरक्षित माहौल प्रदान करने के लिए सभी कार्यालयों, जहां पर महिलाएं कार्यरत हो वहां आंतरिक परिवाद समिति का गठन करने का सुझाव दिया। उन्होंने कहा कि महिलाएं समाज का आधार होती हैं। उन पर किसी भी प्रकार से उत्पीडऩ नहीं किया जाना चाहिए। इस दौरान सदस्य शशिकांता राठौर एवं अर्चना उपाध्याय उपस्थित रही।
पटवारी पर कार्रवाई के SDM को निर्देश
‘महिला आयोग (Mahila Aayog) की जनसुनवाई में आकर्षण का केंद्र रहा ‘पति, पत्नी और वह’ का मुद्दा। दरअसल, जब कोई पढ़ा-लिखा या अच्छे ओहदे पर रहने वाला व्यक्ति आवेदक या आवेदिका बनता है तो मामला रोमांचित करने वाला हो जाता है। यहां भी कुछ ऐसा देखने को मिला, जहां अनावेदक राजस्व विभाग में पटवारी के पद पर कार्यरत है और आवेदिका बनी उनकी पत्नी। पत्नी का आरोप है कि मेरे (पत्नी) रहते हुए पटवारी का न सिर्फ दूसरी महिला से संबंध रहा है, बल्कि भरण-पोषण भी नहीं दे रहा है। आवेदक की इस शिकायत पर महिला आयोग की अध्यक्ष डॉ. किरणमयी नायक ने अपीलकर्ता को भरण-पोषण उपलब्ध कराने का निर्देश देते हुए एसडीएम को अनावेदक के विरुद्ध कार्रवाई करने का निर्देश दिया।
धोखे से ली जमीन को पुन: रजिस्ट्री कराने के निर्देश
डॉ. नायक ने करतला तहसील के चिकनी पाली गांव की वृद्ध एवं असहाय महिला की जमीन संबंधी विवाद का निपटारा किया। आवेदिका के अनुसार अनावेदक ने उसके वृद्ध एवं अंधे-बहरे होने का फायदा उठाकर धोखे से बिना पूरे पैसे दिए उसकी जमीन का रजिस्ट्री करा ली थी। महिला आयोग ने सुनवाई कर 15 दिन के भीतर पैसे वापस करने या भुगतान करने में सक्षम न होने पर वृद्ध महिला के नाम पुन: रजिस्ट्री करने के निर्देश दिए।
बिना शादी बाप बनकर गबन कर रहा था मां की पेंशन राशि, बेटी की शिकायत पर कलेक्टर को जांच के निर्देश
महिला आयोग (Mahila Aayog) के समक्ष मानसिक प्रताडऩा से संबंधित आवेदन भी आया। आवेदिका ने शिकायत की थी कि अनावेदक ने पहली पत्नी के होते हुए आवेदिका की मां के साथ पति के रूप में रहा था। वे मां की मृत्यु के बाद स्वयं को पति घोषित करते हुए पेंशन की राशि अपने नाम कराकर प्रतिमाह पेंशन ले रहे हैं। आवेदिका के मां के घर पर भी कब्जा कर रखा है। इस पर सुनवाई करते हुए महिला आयोग की अध्यक्ष डॉ. किरणमयी नायक ने कहा कि अवैध तरीके से स्वयं को मृतक महिला का पति बताकर शासकीय पेंशन का लाभ लेना अवैधानिक है। यह शासकीय राशि के गबन एवं धोखाधड़ी की श्रेणी में आता है। इस पर कलेक्टर को जांच कर विस्तृत रिपोर्ट प्रस्तुत करने के निर्देश दिए।
मानसिक प्रताड़ना से जुड़े ज्यादातर मामले
सुनवाई के दौरान सर्वाधिक केस मानसिक प्रताडऩा से जुड़े थे। एक अन्य मामले में आवेदिका ने कार्य क्षेत्र से पृथक कर कार्यालय में संलग्न करने की शिकायत महिला आयोग (Mahila Aayog) में दर्ज कराई थी। महिला आयोग ने इस प्रकरण को संज्ञान में लेते हुए कहा कि संलग्नीकरण या किसी अन्य प्रकार का विभागीय दायित्व सौंपना कार्य स्थल पर प्रताडऩा की श्रेणी में नहीं आता। महिला आयोग के कार्य क्षेत्र से बाहर होने के कारण इस प्रकरण को नस्तीबद्ध किया गया। इसके साथ-साथ कार्य स्थल पर प्रताडऩा, दहेज प्रताडऩा, हत्या, अपहरण, भरण-पोषण से संबंधित मामलों पर भी सुनवाई की गई। इस अवसर पर एसडीएम सुनील नायक, पुलिस उप अधीक्षक योगेश साहू, डीपीओ आनंद प्रकाश किस्पोट्टा सहित अन्य अधिकारी उपस्थित रहे।