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ऐसा स्कूल जहां लाखों में लगती है चूक और मौत की कीमत

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रायपुर/नवप्रदेश। राजधानी के एक स्कूल प्रबंधन द्वारा अपनी चूक से डूबने (drown) से हुई दो छात्राें (two students) की मौत (death) के बदले उनके अभिभावकों को लाखों रुपए ऑफर किए जा रहे हैं।

बताया जा रहा है कि स्कूल ने दोनों मृत छात्रों के अभिभावकों को 16-16 लाख रुपए का ऑफर किए हैं। यहां बात हो रही है रायपुर के भारत माता स्कूल की।

शनिवार को स्कूल प्रबंधन द्वार अपने यहां के विद्यार्थियों  को महासमुंद (mahasamund) जिले के सिरपुर में पिकनिक (picnic) के लिए ले जाया गया था।  बताया जा रहा है कि बच्चों के साथ गए स्टाफ ने बच्चों को महानदी में अकेले ही नहाने के लिए छोड़ दिया। इस दौरान दो बच्चे (two students) गहराई में चले गए और डूबने (drown) से उनकी मौत (death) हो गई गए।

शोर सुनकर आसपास के लोग वहां पहुंचे, पुलिस को जानकारी दी गई। मौके पर पहुंची पुलिस टीम के जवानों ने बच्चों को निकाला। दोनों को अस्पताल ले जाया गया पर डॉक्टरों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया। मृत छात्रों के नाम हीरापुर निवासी खुशदीप संधु (15) पिता हरजीत सिंह संधु और हाउसिंग बोर्ड कॉलोनी कुम्हारी निवासी अमन शुक्ला (14) पिता प्रदीप शुक्ला हैं।

ऐसे हुई चूक

पिकनिक मनाने (picnic) महासमुंद (mahasamund) के सिरपुर में बच्चे जिस जगह नहा रहे थे, वहां खतरे का बोर्ड लगा था। पुलिस से प्राप्त जानकारी के मुताबिक पेट्रोलिंग टीम ने शिक्षकों को चेताया भी था कि वहां से बच्चों को दूर रखें। लेकिन शायद इसे अनसुना कर दिया गया, जिसकी वजह से बच्चे डूब गए। बता दें कि मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने घटना पर दुख व्यक्त करते हुए परिजनों को 4-4 लाख रुपए की आर्थिक सहायता प्रदान करने के निर्देश पहले ही दे दिए हैं।

पिछले माह ही सामने आया था ऐसी ही चूक का ये मामला

स्कूल प्रबंधन द्वारा बच्चों की सरक्षा को लेकर लापरवाही का ऐसा ही एक मामला पिछले माह ही रायपुर में देखने को मिला था। द रेडिएंट वे स्कूल में एडवेंचर नाइट कैंप के दौरान 11 साल की एक बच्ची 25 फीट की ऊंचाई से गिर गई थी। हादसे में वह गंभीर रूप से घायल हो गई थी। इस घटना को गंभीरता से लेते हुए मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने  कलेक्टर एस भारती दासन को जांच का जिम्मा सौंपते हुए त्वरित कार्रवाई के निर्देश दिए थे। इस घटना के बाद स्कूलों में बच्चों से जुड़ी एक्टििवटीज के लिए िनयम भी बनाए गए थे, लेकिन ताजा मामले से यह साफ हो रहा है कि स्कूल प्रबंधन किस तरह इन नियमों को ठेंगा दिखा रहे है।

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