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महाराष्ट् में राजनीतिक तूफान, अगले 48 घंटे अहम

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मुंबई/नवप्रदेश। महाराष्ट्र (maharashtra) में मौजूदा सरकार का कार्यकाल 8 नवंबर को खत्म हो रहा है। ऐसे में सरकार गठन (forming government) को लेकर महाराष्ट्र में मानों राजनीतिक तूफान (political storm) आ गया है। यह तूफान अगले 48 घंटे (48 hours) तक चलेगा।

विभिन्न दलों के नेता बयानबाजी, प्रेस कॉन्फ्रेंस कर रहे हैं, लेकिन अपने पत्ते ठीक ढंग से खोलने के लिए कोई भी तैयार नहीं है। ऐसी खबरें आ रही हैं कि शिवसेना व एनसीपी में ढाई-ढाई साल के मुख्यमंत्री पद के लिए सहमति बन चुकी है। इस पर कांग्रेस की हां का इंंतजार है।

बयान जो बढ़ा रहे सस्पेंस

‘सेना-भाजपा बनाएं सरकार, सोनिया गांधी से फिर मिलूंगा’ 

ncp chief sharad pawar

वहीं दूसरी ओर बुधवार को एनसीपी प्रमुख शरद पवार ने साफ कर दिया कि उनकी पार्टी विपक्ष में ही बैठेगी। राज्य में भाजपा और शिवसेना की ही सरकार बनेगी। उनके महागठबंधन को बहुमत मिला है, वे सरकार बनाए। हालांकि वे पत्रकारों के इस सवाल को टाल गए कि दोनों के साथ मिलकर सरकार न बना पाने की स्थिति में एनसीपी किसको समर्थन देगी। लेकिन इतना जरूर कहा कि वे इस मुद्दे को लेकर कांग्रेस की कार्यकारी अध्यक्ष सोनिया गांधी से एक बार फिर मुलाकात करेंगे।

‘कांग्रेस विधायक चाहते हैं गैर भाजपा सरकार, पर फैसला आलाकमान करेगा’

कांग्रेस की ओर से अभी तक अपनी भूमिका स्पष्ट किया जाना बाकी है। हालांकि वरिष्ठ कांग्रेस नेता व महाराष्ट्र विधानसभा में विपक्ष के नेता विजय वडेट्टीवार ने कहा कि हमारे विधायकों का स्पष्ट मानना है कि प्रदेश में किसी भी हालत में भाजपा की सरकार नहीं बननी चाहिए। देखिए, अगले 48 घंटे (48 hours) में क्या होता है।

हालांकि यह पूछे जाने पर कि क्या गैर भाजपा सरकार बनाने के लिए कांग्रेस शिवसेना का साथ देगी, उन्होंने कहा कि इस संबंध में कोई भी फैसला कांग्रेस आलाकमान व पवार साहब ही लेंगे। उन्होंने यह भी कहा कि एक विकल्प पवार को साहब को मुख्यमंत्री बनाने का भी है। हालांकि पवार प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि अब वे मुख्यमंत्री नहीं बनना चाहते।

सत्ता में 50-50 से कम कुछ भी मंजूर नहीं : राऊत

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इस बीच शिवसेना अपनी मांग पर अड़ी है। शिवसेना नेता संजय राऊत ने बुधवार को कहा कि उनकी पार्टी को सत्ता में बराबर की हिस्सेदारी से कम कुछ भी मंजूर नहीं है। उन्होंने यह भी कहा कि सत्ता में 50-50 फॉर्मूले से कम किसी भी नए प्रस्ताव पर पार्टी भाजपा के साथ सहमत नहीं होगी। यह फॉर्मूला चुनाव के पहले ही तय हुआ था।

अब नए प्रस्ताव पर नहीं होगा समय जाया

उन्होंने कहा कि दोनों दलों के साथ जब चुनाव के पहले एक लाइन का समझौता हो चुका है, तो अब फिर से नए प्रस्ताव के लेन-देन में समय क्यों जाया करें।
राऊत ने यह भी कहा कि यदि सरकार न बन पाने की स्थिति में राज्य में राष्ट्रपति शासन लागू होता है तो यह जनमत का अपमान होगा। राऊत ने कहा कि यदि कोई भी कारण न रहते राष्ट्रपति शासन लगाने का षड्यंत्र रचा जा रहा है तो इसके लिए शिवसेना जिम्मेदार नहीं होगी । पवार के बयान पर उन्होंने कहा कि देखिए अगले दो-तीन दिन में क्या होता है।

बहरहाल इन बयानों से महाराष्ट्र में राजनीतिक तूफान (political storm) आ गया है।  यह सत्ता से दूर किसे ले जाएगा और कौन इसके प्रभाव से बचकर सरकार बनाने (forming government) में सफल होगा, यह यह दो दिन बाद स्पष्ट हो जाएगा।

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